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यहां जनस्वास्थ्य से सीधे हो रहा खिलवाड़

अल्मोड़ा: बुद्धिजीवी शहर अल्मोड़ा में अकर्मण्यता व सिविक सेंस की कमी जन स्वास्थ्य के लिए सीधे खतरा बन

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 10:47 PM (IST)
यहां जनस्वास्थ्य से सीधे हो रहा खिलवाड़

अल्मोड़ा: बुद्धिजीवी शहर अल्मोड़ा में अकर्मण्यता व सिविक सेंस की कमी जन स्वास्थ्य के लिए सीधे खतरा बन रही है। गर्मी व बरसात में अशुद्ध पेयजल व गंदगी से रोगों का सर्वाधिक खतरा रहता है। मगर यहां यह खतरा मोल लिया जा रहा है। इसके पीछे बेलगाम इंतजाम जिम्मेदार हैं। बुद्धिजीवी शहर में ये हालात दीपक तले अंधेरा वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। यहां एक लापरवाही ने तीन-तीन गंभीर समस्याओं ने सिर उठाया है। फिर भी कोई सुध नहीं है।

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शुद्ध पेयजल पिलाने का दावा तो हो रहा है, मगर हकीकत को नजरअंदाज किया जाता है। न जाने कितने घरों में सप्लाई शुद्ध पेयजल नालों की अशुद्धि लेकर पहुंच रहा है। इसका अंदाजा लगाने की न तो किसी को सुध है और न ही इस तरफ ध्यान, जबकि यह मामला सीधे जनस्वास्थ्य से जुड़ा है और गर्मी व बरसात में कभी भी संक्रामक रोग के रूप में खतरा बन सकता है। स्थिति यह है कि शहर के तमाम मोहल्लों में गंदगी बहा रहे नालों व पेयजल लाइनों में अटूट संबंध बन गया है। हर नाले से पेयजल लाइनें गुजर रही हैं और लगातार पानी व कीचड़ में रहने से पुरानी पाइप लाइनें सड़-गल रही हैं और यूं ही काम चलते जा रहा है। नाले का गंदा पानी ऐसे सड़े गले पाइपों से रिसकर पेयजल के साथ घरों तक पहुंचने का प्रबल अंदेशा है। खुद जल संस्थान को ऐसे उदाहरण मिल चुके हैं। गत वर्ष ही रानीधारा रोड में पुरानी पेयजल लाइन की ठीक करने के लिए खुदाई हुई, तो नाले की गंदगी पेयजल के साथ बड़ी मात्रा में घरों तक पहुंच रही थी। ऐसा ही कई अन्य जगह होने का अंदेशा है।

यहां जल संस्थान की सप्लाई लाइनें हों या घरों को जाने वाली पाइप लाइनें, अधिकांश नालियों में ही समाए हुए हैं। इससे एक नहीं तीन-तीन समस्याएं पैदा हो गई हैं। एक ओर चोक लाइनों से नाले की गंदगी घरों तक पहुंचकर जन स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, दूसरी ओर पाइप लाइनों के अत्यधिक जाल से नालियां चोक हो गई हैं। इनमें कूड़ा कचरा फंसने से बारिश में सारा पानी रास्तों से बहता है। तीसरी स्थिति यह है कि कई जगह पेयजल लाइनों के झुरमुट ने रास्तों को अत्यधिक संकरा बना दिया है। बसासत बढ़ने के साथ ही समस्या का ग्राफ भी वैसे ही बढ़ रहा है। मगर प्रशासन, पालिका व जनमानस को कोई सरोकार नहीं है। जो भविष्य में भारी पड़ सकता है।


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