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घिसट रहा आकाशवाणी का अल्मोड़ा केंद्र

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: जिला मुख्यालय में 1986 में स्थापित आकाशवाणी केंद्र बदहाल है। मात्र एक किल

By Edited By: Published: Sun, 26 Oct 2014 11:39 PM (IST)Updated: Sun, 26 Oct 2014 11:39 PM (IST)

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: जिला मुख्यालय में 1986 में स्थापित आकाशवाणी केंद्र बदहाल है। मात्र एक किलोवाट ट्रांसमीटर क्षमता वाले इस केंद्र का लाभ समूचे कुमाऊं को नहीं मिल पा रहा है। इसकी प्रसारण क्षमता बढ़ाकर पहाड़ के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कृषि से संबंधित जानकारी के साथ ही मनोरंजक तथा ज्ञानप्रद कार्यक्रमों का लाभ दिलाने की कोई ठोस पहल अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। फलस्वरूप अल्मोड़ा आकाशवाणी केंद्र सीमित संसाधनों के बीच बस किसी तरह जैसे-तैसे चल रहा है।

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पर्वतीय अंचल के लोगों को आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का लाभ पहुंचाने के मकसद से 28 साल पहले इस केंद्र की स्थापना की गई। शुरूआती दौर में इस केंद्र में मानकों के अनुसार स्टाफ तैनात था, वर्तमान में केंद्र में कई पद खाली चल रहे हैं। केंद्र में मात्र एक किलोवाट क्षमता का ट्रांसमीटर लगा होने से इस केंद्र का लाभ समूचे कुमाऊंवासियों को नहीं मिल पा रहा है। फलस्वरूप पहाड़ की अधिकांश आबादी अभी भी इसके प्रसारणों का लाभ उठाने से वंचित है। आकाशवाणी केंद्र के उच्चीकरण के लिए जनप्रतिनिधि इस मामले में केंद्र सरकार के समक्ष ठोस पैरवी नहीं कर पाए। उसी का नतीजा है कि आकाशवाणी स्टेशन घोर उपेक्षा का शिकार हो रहा है। उत्तराखंड राज्य स्थापना के 13 सालों बाद भी यहां की सरकार का ध्यान भी आकाशवाणी स्टेशन की दुर्दशा की ओर नहीं गया और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा आकाशवाणी महानिदेशालय तक इसकी ठोस पैरवी नहीं हो सकी।

पर्याप्त बजट के अभाव में आकाशवाणी केंद्र में स्तरीय कार्यक्रम भी तैयार नहीं हो पा रहे हैं। स्थानीय कलाकारों व विषय विशेषज्ञों के जरिए ही किसी तरह प्रसारण को सुचारू बनाए रखने के लिए व्यवस्था की जा रही है। अल्मोड़ा आकाशवाणी केंद्र के प्रति केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा आकाशवाणी महानिदेशालय की उदासीनता का आलम यह है कि यहां टेक्निकल स्टाफ के कई महत्वपूर्ण पद खाली हैं, जो इस अंतराल में नहीं भरे गए। करीब तीन दर्जन से भी अधिक कैजुवल स्टाफ के सहारे किसी तरह कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है। 15 जून 1986 को तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री वीएन गाडगिल द्वारा इस केंद्र का लोकार्पण किया गया। परंतु आज यह केंद्र दुर्दशा का शिकार है।

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श्रोताओं के लिए नए प्रोग्राम तैयार करने में बजट की कमी आड़े आ रही है। जनवरी 2012 से कलाकारों की फीस दरें भी बढ़ गई हैं, जिससे और मुश्किलें पेश आ रही हैं। वहीं आकाशवाणी परिसर स्थित लगे ट्रांसफार्मर में फ्लैकच्यूएशन होने व इसके बार-बार ब्रेक डाउन होने से कार्यक्रमों के प्रसारण में दिक्कतें आ रही हैं। विद्युत विभाग को कई मर्तबा लिखित व मौखिक रूप से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हो पाया है।

- मनोहर सिंह बृजवाल, केंद्राध्यक्ष, अल्मोड़ा आकाशवाणी

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आकाशवाणी में रिक्त पदों का विवरण

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पदनाम रिक्तियों की संख्या

केंद्र निदेशक- 1

केंद्र अभियंता- 1

सहायक केंद्र अभियंता- 1

प्रोग्राम एक्जिक्यूटिव- 3

प्रसारण निष्पादक- 5

(इसके अलावा अभियांत्रिकी, प्रशासनिक व कार्यक्रम निर्माण अनुभाग में भी एक दर्जन पद खाली हैं।)

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