संसदीय क्षेत्र में पर्वतीय विवि की वकालत
जागरण कार्यालय, अल्मोड़ा: अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र में आवासीय पर्वतीय विश्वविद्यालय के लिए लामबंदी शुरू हो गई है। इसी मसले पर यहां जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों, शिक्षकों व छात्रों की संयुक्त बैठक में मंथन हुआ और इसके लिए पुरजोर वकालत करते हुए मामले को हवा देने के लिए एक समन्वय समिति गठित कर ली गई।
यहां पालिका सभागार में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट में उच्च शिक्षण संस्थानों की दशा सोचनीय है। इस क्षेत्र के चार जिलों में करीब दो दर्जन महाविद्यालय और एक एसएसजे कैम्पस अल्मोड़ा है। मगर राज्य गठन के बाद भी इनमें संसाधन व मूलभूत सुविधाएं नहीं जुट पाई। यहां जरूरत के बाद भी एक अतिरिक्त विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं हो सकी। प्रस्ताव पारित कर मांग उठाई गई कि राज्य सरकार इस क्षेत्र में शीघ्र एक आवासीय पर्वतीय विश्वविद्यालय की स्थापना करे, ताकि क्षेत्र में उच्च शिक्षा में खुशहाली आए। कुछ वक्ताओं ने संसाधनों की उपलब्धता व व्यवस्था की दृष्टि से इसके लिए एसएसजे कैम्पस अल्मोड़ा को उचित ठहराया। कहा गया कि सरकार को कुमाऊं विवि पुनर्गठन विधेयक लाकर प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
सर्वसम्मति से तय हुआ कि जल्द ही इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल से वार्ता की जाएगी और संसदीय क्षेत्र के सभी 14 विधायकों का सहयोग लिया जाएगा। इस दिशा में बेहतर पहल के लिए एक समन्वय समिति बनाई गई। जिसमें मुख्य शिक्षक संयोजक डा. संजय कुमार टम्टा मुख्य संयोजक, छात्रसंघ अध्यक्ष राजेन्द्र राठौर को मुख्य छात्र संयोजक, अनूप तिवारी को मुख्य कर्मचारी संयोजक, प्रताप सिंह सत्याल, दयाशंकर टम्टा व केवल सती को मुख्य सामाजिक संयोजक बनाया गया, जबकि प्रो. एसए हामिद, प्रो. जीएस नयाल, प्रो. एनडी कांडपाल, आनंद सिंह बगडवाल, डा. धनी आर्या, डा. फकीर सिंह, अशोक कनवाल, मनोहर सिंह पवार, विनय सैलानी, तेज कृष्ण सिंह, अमित डसीला को सदस्य बनाया गया। बैठक में उक्त के अलावा पूरन सिंह नगरकोटी, दीपेश पंत, सरिता टम्टा, दिवाकर, राधा नेगी, रोहित वर्मा, आशीष कनवाल, दीपक साह, योगेश सनवाल आदि ने भी विचार रखे।