उल्लास के साथ नंदा की विदाई
जागरण संवाददाता, चौखुटिया: ओ बाई गवारा रोधना लगैछ, ओ बाई गवारा बाट लागी रै, गवारा छंतेली दगडै चली रै व चौसिंग्या खाडू दगडै चली रै..जैसे भाव गीत व शंख ध्वनि, तुतरी व ढोल-नगाडों की गूंज। मन में उत्साह व उल्लास एवं उदासी के भावों का अद्भूत संगम। शनिवार को ऐसा ही कुछ नजारा श्रीनंदा राजजात यात्रा केअंतर्गत यहां जाबर-कोट्यूड़ा से चौखुटिया तक नंदा की ससुराल को विदाई के दौरान देखने को मिला।
शुभ मूहुर्त पर आज सुबह 9 बजे नंदा देवी मंदिर परिसर जाबर-कोट्यूड़ा से पारंपरिक रस्मो-रिवाज, वाद्ययंत्रों की गूंज व मां-देवी विदाई गीतों के साथ ही नंदा की डोली की रवाना हुई। इसके साथ ही राज छंतोली व नंदा की स्वर्ण प्रतिमा लेकर भव्य राजजात यात्रा नंदा के मायके के गांव कोट्यूड़ा, टेड़ागांव, अमस्यारी, गोदी व बरलगांव होते हुए भारी जन समुदाय के साथ चौखुटिया बाजार से खिरचौरा धाम, अगनेरी मैया मंदिर होकर दिन में 1 बजे ग्वैलचौड़ा-गनाई मंदिर पहुंची। जहां से कुछ देर बाद यात्रा दूनागिरी के लिये प्रस्थान हुई।़
स्थान-स्थान पर मां नंदा राजजात यात्रा का श्रद्धालुओं ने पूरे श्रद्धाभाव से स्वागत किया। सुबह से ही लोग स्वागत के सड़क केकिनारे खड़े थे। इस 10 किमी की पैदल यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिकरत की। इस दौरान देवी मंगल गीतों की सुर-लहरियों के बीच लोग भावुक हो उठे। एक बारगी ऐसा लग रह था कि मानो लोग अपनी बेटी-बहन को अपने ससुराल के लिये विदा कर रहे हों। जी हा भगवान व इंसान के बीच सदियों से चली आ रही यह आत्मीय रिश्तों की अटूट बंधन की कहानी है।
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यात्रा में शामिल देव डंगरिये व सहयोगी
इस यात्रा में देव डंगरिये के रूप में पैली केराजेंद्र सिंह, बलवंत सिंह, हरी राम, मदन सिंह, प्रेम सिंह, जोगा सिंह व गणेश सिंह समेत अन्य भागीदारी कर रहे हैं। जबकि अयोजक कुबेर सिंह कठायत, देव सिंह पैलिया, कुंवर सिंह कन्याल, शिवराज सिंह, नरेंद्र मेहरा, मदन खुराना, आनंद नाथ, गोपाल सिंह, राजेंद्र नाथ समेत सैकड़ों की संख्या में लोग सहयोग कर रहे हैं।
लोगों में दिखा गजब का उत्साह
यहां जाबर नंदा देवी मंदिर से चौखुटिया केइतिहास में पहली बार निकाली गई इस श्रीनंदा राजजात यात्रा के प्रति लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला। लोगों ने स्थान-स्थान पर फूल बरसा कर व हाथ जोड़कर यात्रा का स्वागत किया। हजारों की संख्या में श्रद्धालु यात्रा में शरीक हुए। पूरे यात्रा के दौरान देवी विदाई गीतों ने ऐसा समां बांध दिया कि सभी भावुक हो उठे।
हर तीसरे साल होती है नंदा की पूजा
विकास खंड अंतर्गत मां नंदा देवी मंदिर जाबर-कोट्यूड़ा व ढनाण में मां-नंदा देवी पूजन कार्यक्रम की प्रथा सदियों से चली आ रही है। जिसे मां नंदा देवी मेले के नाम से जाना जता है। जो हर तीसरे साल में एकबार लगता है। इसमें आयोजक परिवारों के साथ ही क्षेत्र के तमाम गांवों के ग्रामीण सहयोग देते हैं। इस बार यहां से जाबर मंदिर समिति के तत्वावधान में पहली बार राजजात यात्रा की शुरूआत हुई है।