महफूज हाईवे के वजूद पर संकट!
- कुमाऊं में ब्रितानी दौर की सबसे पुरानी 'लाइफ लाइन' दरकी
- भूधंसाव से फट गया है 20 से 25 मीटर लंबा दायरा, लगातार गहरा रहीं दरारें
- द्वारसौं में राजमार्ग के ठीक नीचे बन रही आवासीय कॉलोनी
- हल्द्वानी हाईवे की तरह मजखाली-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर मंडराया खतरा
- एनएच प्रशासन में हड़कंप, मॉनीटरिंग कमेटी करेगी निरीक्षण
जागरण संवाददाता, रानीखेत : कुमाऊं की 'लाइफ लाइन' पर तो संकट मंडरा ही रहा, अब तक महफूज समझे जाने वाला ब्रितानी दौर का राष्ट्रीय राजमार्ग भी खतरे की जद में आ गया है। द्वारसौं से कुछ आगे जबर्दस्त भू-धंसाव के कारण मजखाली-अल्मोड़ा हाईवे जैसे फटने लगा है। तकरीबन 20 से 25 मीटर लंबी दरारें लगातार चौड़ी व गहराती जा रही। नतीजा आपदाकाल में संकटमोचक अहम सड़क का अस्तित्व कब खत्म हो जाय, कहा नहीं जा सकता। राजमार्ग के ठीक नीचे डेवलपर कंपनी आवासीय कॉलोनी बना रही है। इधर दरारों से एनएच प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
दरअसल, अल्मोड़ा-मजखाली हाईवे कुमाऊं के पर्वतीय अंचल में ब्रितानी हुकूमत की सबसे पुरानी 'लाइफ लाइन' है। कितनी भी भयंकर आपदा आए यह हाईवे संकटमोचक का रोल निभाता रहा है। करीब दो वर्ष पूर्व एनएच प्रशासन की चूक से हालांकि राजमार्ग जर्जर हालत में पहुंच गया है। इसके बावजूद इसे हल्द्वानी-अल्मोड़ा हाईवे से कहीं ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।
मगर अब यह संकटमोचक हाईवे के वजूद पर खुद ही संकट मंडराने लगा है। द्वारसौं से कुछ आगे राष्ट्रीय राजमार्ग दरक गया है। भूधंसाव से गहरी व लंबी दरारें हाईवे पर खतरे का संकेत दे रहीं। दो-तीन स्थानों पर जैसे सड़क फटने लगी है। ठीक नीचे बिल्डर कंपनी आवासीय कॉलोनी विकसित कर रही है। ऐसे में निचले भूभाग के लिए भी खतरा बढ़ गया है।
==== पैकेज =====
चार दिन की बारिश ने हिला डाले अखम पहाड़
- सतझड़ झेलने वाली मजखाली-अल्मोड़ा हाईवे की मजबूत पहाड़ियां भी दरकने लगी
- कोसी घाटी से मजखाली तक दर्जन से ज्यादा भूभाग पर भूस्खलन
- सुरक्षा दीवार ढहने राजमार्ग पर सफर खतरनाक
:::: दुश्वारियां :::::
रानीखेत : चार दिन की मूसलाधार वर्षा ने उन पहाड़ी भूभाग को भी हिला कर रख दिया है, जहां अतिवृष्टि तक बेअसर रही। मगर खालिस पर्वतीय बेल्ट में सड़कों की मरम्मत व पुनर्निर्माण में जेसीबी सरीखे हाइटेक मशीनों के इस्तेमाल ने अखम पहाड़ों की बुनियाद हिला कर रख दी है। नतीजतन कोसी घाटी से मजखाली के बीच हाईवे पर दर्जन से ज्यादा सुरक्षित पहाड़ियां भी दरक गई हैं। यहां भूस्खलन व सुरक्षा दीवार ध्वस्त होने से हल्द्वानी हाईवे की ही तरह सफर बेहद खतरनाक हो गया है।
वक्त के साथ हावी हो रही अवैज्ञानिक सोच व अनियोजित विकास की मार से ब्रितानी दौर का हाईवे कराह उठा है। यहां की मजबूत पहाड़ियां ढहने के कगार पर हैं। कभी सतझड़ झेलने वाला यह पर्वतीय भूभाग महज चार दिन की बारिश में इस कदर कमजोर पड़ चुका है कि कोसी से मजखाली के बीच दर्जनभर स्थानों पर भूस्खलन का खतरा पैदा हो गया है। मलबे व बोल्डरों के साथ भारीभरकम पेड़ कब धराशायी हो जाएं कहा नहीं जा सकता।
=== इंसेट ====
'हाईवे सलामत रहे, इसके लिए हम गंभीर हैं। द्वारसौं में यदि आवासीय कॉलोनी विकसित कर रही बिल्डर कंपनी की लापरवाही से हाईवे भू-धंसाव से दरक रहा है तो कड़ी कार्रवाई करेंगे। राजमार्ग से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। निरीक्षण को टीम भेज रहे हैं।
- मनोहर सिंह, अधिशासी अभियंता एनएच'