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शारदीय नवरात्र में सौभाग्य पाने को कब और कैसे करें मां का पूजन

इस बार शारदीय नवरात्र में द्वितीया तिथि की वृद्धि से नवरात्र दस दिन का होगा। 11 अक्टूबर को नवरात्र व्रत का पारन, दुर्गा प्रतिमा विसर्जन व विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 29 Sep 2016 02:08 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2016 03:26 PM (IST)

वाराणसी (जेएनएन)। मातृशक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र अश्विन शुक्ल प्रतिपदा एक अक्टूबर से शुरू होकर महानवमी पर्यंत दस अक्टूबर तक रहेगा। इस बार शारदीय नवरात्र में द्वितीया तिथि की वृद्धि से नवरात्र दस दिन का होगा। 11 अक्टूबर को नवरात्र व्रत का पारन, दुर्गा प्रतिमा विसर्जन व विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कार्यपालक समिति के सदस्य व ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार नवरात्र साल में दो बार पड़ता है। इसे वासंतिक व शारदीय नवरात्र के रूप में जाना जाता है। नौ दिनों तक व्रत रहकर देवी की आराधना करने से इसका नाम नवरात्र पड़ा। वैसे तो दस दिनी नवरात्र शुभ माना जाता है।

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शारदीय नवरात्र 2016: जानिए घट-स्थापना की पूजा और मुहूर्त का समय

लेकिन मां दुर्गा का आना व जाना दोनों का अपना अलग-अलग महत्व है। इस बार परांबा दुर्गा का आगमन घोड़े पर और गमन मुर्गा पर हो रहा है। अत: माता का आना-जाना दोनों अशुभ है। इसका फल देश पर विपत्ति, किसी बड़े राजनेता का निधन, भूकंप, प्राकृतिक आपदा, झंझावात, महामारी, व्याकुलता, व्याग्र्रता आदि देखने को मिलेगा। कलश स्थापन में चित्रा व वैधृति नक्षत्र का योग दोषपूर्ण होता है। इस बार ये दोनों नक्षत्र आगे-पीछे हैं।

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कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त एक अक्टूबर को सुबह 6.06 बजे से सुबह 9.24 बजे तक रहेगा। जो लोग इस योग में कलश स्थापना न कर सकें उन लोगों को थोड़ा इंतजार कर अभिजीत मुहुर्त सुबह 11.36 बजे से दोपहर 12.24 बजे तक करना चाहिए।महानिशा पूजन आठ अक्टूबर को किया जाएगा। महाष्टमी व्रत नौ अक्टूबर को व महानवमी का व्रत दस अक्टूबर को होगा। महाष्टमी व्रत का पारन दस अक्टूबर को सुबह किया जाएगा। नवरात्र व्रत का पारन 11 अक्टूबर को सुबह होगा। नवरात्र का हवनादि नवमी तिथि दस अक्टूबर को शाम 5.55 के पूर्व कर लेना चाहिए।

तिथि के अनुसार दर्शन
एक अक्टूबर : शैलपुत्री दर्शन- प्रतिपदा तिथि एक अक्टूबर की भोर 4.21 बजे लग रही है, जो दो अक्टूबर की भोर 5.53 बजे तक रहेगी।
दो अक्टूबर : ब्रह्मïचारिणी देवी का दर्शन- द्वितीया तिथि दो अक्टूबर की भोर में 5.54 बजे से लग रही है, जो दिनभर रहेगी।
तीन अक्टूबर : ब्रह्मïचारिणी देवी का दर्शन- द्वितीया वृद्धि तीन अक्टूबर को सुबह 7.44 मिनट तक रहेगी।
चार अक्टूबर : चंद्रघंटा देवी दर्शन- तृतीया तिथि तीन अक्टूबर को सुबह 7.45 बजे से लग रही है, जो चार अक्टूबर को सुबह 9.48 बजे तक रहेगी।
पांच अक्टूबर : कुष्मांडा देवी दर्शन- चतुर्थी तिथि चार अक्टूबर को सुबह 9.49 बजे से लग रही है, जो पांच अक्टूबर को दोपहर 11.53 बजे तक रहेगी।
छह अक्टूबर : स्कंधमाता दर्शन- पंचमी तिथि पांच अक्टूबर को सुबह 11.54 बजे से लग रही है, जो छह अक्टूबर को दोपहर 1.50 बजे तक रहेगी।
सात अक्टूबर : कात्यायनी देवी दर्शन- षष्ठी तिथि छह अक्टूबर को दोपहर 1.51 बजे लग रही है, जो सात अक्टूबर को अपराह्न 3.31 बजे तक रहेगी।
आठ अक्टूबर : कालरात्रि दर्शन- सप्तमी तिथि सात अक्टूबर को अपराह्न 3.32 बजे से लग रही है, जो आठ अक्टूबर को शाम 4.47 बजे तक रहेगी।
नौ अक्टूबर : महागौरी दर्शन- अष्टमी तिथि आठ अक्टूबर को शाम 4.48 बजे लग रही है, जो नौ अक्टूबर को शाम 5.38 बजे तक रहेगी।
दस अक्टूबर : सिद्धदात्री देवी दर्शन- महानवमी तिथि नौ अक्टूबर की शाम 5.39 बजे लग रही है, जो दस अक्टूबर को शाम 5.55 बजे तक रहेगी।
11 अक्टूबर : विजयदशमी- नवरात्र व्रत का पारन सुबह 6.13 बजे के बाद व सायंकाल दुर्गा प्रतिमा विसर्जन। इस बार दस दिन का होगा शारदीय नवरात्र


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