Move to Jagran APP

केवल धनतेरस को दर्शन देने वाली मां अन्नपूर्णा का खजाना पाने उमड़ा हुजूम

वाराणसी में धनतेरस पर खरीदारी के साथ ही स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दर्शन व खजाना पाने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 28 Oct 2016 02:01 PM (IST)Updated: Sat, 29 Oct 2016 06:31 PM (IST)

वाराणसी (जेएनएन)। वाराणसी में धनतेरस पर खरीदारी के साथ ही स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दर्शन व खजाना पाने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। एक ओर जहां लोग धातु निर्मित सामग्री खरीदने में जुटे रहे। वहीं दूसरी ओर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में भोर से ही स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के विग्र्रह का दर्शन व खजाने का प्रसाद लेन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रही। दोपहर दो बजे तक तकरीबन एक लाख श्रद्धालुओं ने मां का दर्शन-पूजन कर लिया था। वहीं दूसरी ओर संकठा मंदिर के समीप स्थित अन्नपूर्णा दरबार व लक्ष्मीकुंड स्थित लक्ष्मी मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा रहा।

loksabha election banner

तस्वीरों में देखें-यूपी सीएम अखिलेश यादव की धनतेरस

देश भर में यह एक ऐसा मंदिर है जिसके दर्शन के लिए भक्तों को साल भर इंतज़ार करना पड़ता है। यह है माता अन्नपूर्णा का मंदिर जहां भक्तों को साल भर की संपन्नता और समृद्धि का खजाना मिलता है। यह मंदिर केवल धनतेरस के दिन खुलता है। माता अन्नपूर्णा के खजाने में मिलने वाले लावे और सिक्के को यदि भक्त पूरी श्रद्धा के साथ अपने घर में रखता है, तो उसके घर में माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है। इस मंदिर में धनतेरस के दिन देशी और विदेशी भक्त माता अन्नपूर्णा का प्रसाद रुपी खजाने को लेने के लिए घंटों तक लाइन में लगे रहते हैं।
पढ़ें-कार्तिक मास में ऐसा करने से कीर्ति, आयु, संपत्ति, ज्ञान व बुद्धि की प्राप्ति होती है
खजाने के पीछे की कथा
माता अन्नपूर्णा मंदिर के महंत बताते हैं कि पुराणों में लिखा है कि एक समय में काशी में इतना भयंकर अकाल पड़ा था कि खुद भगवान शंकर अपने भक्तों की त्राहि माम के उद्घोष से विचलित हो गये थे। इस समस्या के निवारण के लिए स्वयं माता अन्नपूर्णा की शरण में जा पहुंचे और लोगों को अकाल से बचाने के लिए भिक्षा मांगी फिर प्रसन्न होकर माता अन्नपूर्णा ने भगवान शंकर को वचन दिया कि आज के बाद काशी में कोई भूखा नहीं रहेगा और मेरे दर्शन मात्र से और मेरे खजाने रुपी प्रसाद से लोगों के घर में सुख-समृद्धि आएगी।

क्या कहते श्रद्धालु
हर वर्ष खजाना लेने आने वाले सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि "मैं पिछले दस सालों से माता के खजाने से सिक्का और लावा लेने आता हूं। एक बार धनतेरस के मौके पर माता के दर्शन करने का मौका मिला था, तब से घर में सुख-समृद्धि है।" वहीं सुबह सात बजे से लाइन में लगी रीना अग्रवाल ने बताया कि पहले जब वह पूरे परिवार के साथ दुबई में रहने गई थी, तो उनका व्यापार घाटे में चला गया था। माता के खजाने का सिक्का जब लाकर घर में रखा है, तब से व्यापार में मुनाफा हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.