कुलपति नहीं बनेंगे बीएचयू के प्रो. शाही
वाराणसी : छत्तीसगढ़ के राजभवन ने बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर भोजपुरी अध्ययन केंद्र बीएचयू
वाराणसी : छत्तीसगढ़ के राजभवन ने बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर भोजपुरी अध्ययन केंद्र बीएचयू के प्रो. सदानंद शाही की नियुक्ति आखिरकार निरस्त कर दी। विधि संकाय, बीएचयू के पूर्व छात्र अधिवक्ता सौरभ तिवारी की शिकायत पर राजभवन ने नियुक्ति आदेश निरस्त करने का फैसला लिया। सौरभ ने गलत दस्तावेज प्रस्तुत करने का आरोप लगा नियुक्ति को चुनौती दी थी। आरोप था कि वे दस साल की अर्हता पूरी नहीं करते हैं। नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद सोशल साइट्स पर योग्यता और चयन को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे थे। नए आदेश के अनुसार मौजूदा कुलपति गौरीदत्त शर्मा पद पर बने रहेंगे।
प्रो. शाही द्वारा प्रस्तुत किए गए योग्यता प्रमाण के आधार पर उनकी 23 मई को बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्ति की गई थी। पदभार ग्रहण के ठीक दो दिन पहले सौरभ तिवारी ने प्रो. शाही के दावे को चुनौती देते हुए राज्यपाल से शिकायत कर दी। योग्यता को लेकर उठे सवाल के बाद राजभवन की ओर से मामले की जांच के लिए रविशकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाते हुए शाही के कार्यभार ग्रहण पर रोक लगा दी गई थी। कमेटी ने जाच के बाद रिपोर्ट राजभवन को सौंपी थी। शाही की प्रोफेसर के रूप में 10 साल की अर्हता पर सवाल खड़े किए गए थे। हालाकि इस मामले में सदानंद ने अपना पक्ष भी राजभवन आकर रखा था, लेकिन राजभवन ने उनकी दलीलें खारिज कर नियुक्ति सुसुप्तावस्था में डाल छह जुलाई को दोनों पक्षों को रायपुर भी बुलाया। दोनों की दलील के बाद तय हो गया कि कुलपति पद के लिए प्रो. शाही अयोग्य हैं। हालांकि, इस संबंध में आदेश सुरक्षित थे।
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गलत हो रहा था इसलिए किया विरोध
शिकायतकर्ता सौरभ तिवारी ने कहा कि राजभवन द्वारा कुलपति पद पर प्रो. शाही की नियुक्ति का आदेश वापस लेना स्वागत योग्य है। बीएचयू का छात्र रहने के नाते मालवीय जी प्रेरणास्रोत हैं। कहा कि मेरी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं बल्कि बुराई से है। कुलपतियों की नियुक्ति में पारदर्शिता एवं यूजीसी के नियमों का अक्षरश: पालन होना चाहिए। यह लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। नियुक्ति का आदेश रद होना सच की जीत है।
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वर्जन--
आदेश से स्पष्ट नहीं हो रहा कि नियुक्ति वापस ली है या केस वापस लिया है। राजभवन से इसे स्पष्ट करने की मांग की है। यदि नियुक्ति वापस ली है तो यह सत्य की हार है।
- प्रो. सदानंद शाही, समन्वयक
भोजपुरी अध्ययन केंद्र, बीएचयू
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'झूठ और फरेब की जीत हुई, सत्य और विधान की हार हुई'
(प्रो. सदानंद शाही के फेसबुक वॉल पर गुरुवार की रात की पोस्ट)
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इनसेट
पदक वापस करो अभियान का किया था समर्थन
बीएचयू के प्रो. सदानंद शाही की जब बिलासपुर विवि में नियुक्ति हुई तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित कई संगठनों ने विरोध किया था। आरोप लगाया गया कि भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयान देते हैं। यह भी आरोप है कि असहिष्णुता के खिलाफ पदक-सम्मान वापस करो अभियान के समर्थन में थे। बीएचयू में भी कई शिक्षकों के साथ अप्रत्यक्ष रूप से ऐसी ताकतों का वे समर्थन कर रहे थे। इसे लेकर कई बार विरोध भी हुआ। इस संबंध में जब उनसे बात की गई तो कुछ भी बोलने से परहेज किया।