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गम-ए-रुखसती से अश्कबार हुई आंखें

वाराणसी : रमजानुल मुबारक के आखिरी अय्याम में अलविदा की नमाज पढ़ने के लिए नमाजियों का हुजूम जब निकला

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 01:32 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 01:32 AM (IST)
गम-ए-रुखसती से अश्कबार हुई आंखें

वाराणसी : रमजानुल मुबारक के आखिरी अय्याम में अलविदा की नमाज पढ़ने के लिए नमाजियों का हुजूम जब निकला तो मस्जिदों में जगह की कमी को सड़कों ने पूरा कर दिया। अकीदमंदों ने आसमान से बरसती आंच की बारिश के बीच सड़कों पर भी नमाज अदा की। खुतबा के दौरान इमाम ने जब पढ़ा 'अलविदा, अलविदा या शहरे रमजान...' तो नमाजियों की आंखें रमजान बीत जाने के गम में छलक उठीं। दोपहर साढ़े बारह से तीन बजे तक शहर की सभी मस्जिदों में अलविदा की नमाज पढ़ी गई। इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। नई सड़क स्थित लंगड़े हाफिज मस्जिद में सबसे आखिर में अलविदा जुमा की नमाज अदा हुई। खुतबा से पूर्व पेश इमाम ने जकात व सदका-ए-फित्र के विषय पर तकरीर की। बताया कि जकात व सदका किसे अदा करना चाहिए और किसे नहीं। जमात के वक्त से बहुत पहले ही नमाजियों से मस्जिदें भर गई थीं। मस्जिद के भीतर जगह न होने की वजह से लोगों को तेज धूप में मस्जिद की छत पर नमाज पढ़नी पड़ी। वहीं कई स्थानों पर मस्जिदों के बाहर सड़क पर भी नमाज अदा हुई। जिसमें खुदाबख्श जायसी लंगड़े हाफिज मस्जिद नई सड़क, जामा मस्जिद नदेसर, मस्जिद दायम खां पुलिस लाइन चौराहा, मस्जिद तेलियाबाग आदि प्रमुख हैं। अलविदा जुमा को लेकर बच्चों में जबरदस्त उत्साह रहा। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी नहा-धो कर नए कपड़ों में नमाज अदा करने पहुंचे। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सुबह से ही चहल-पहल बढ़ी हुई थी। इनमें बजरडीहा, रेवड़ी तालाब, मदनपुरा, दालमंडी, बड़ी बाजार, पीलीकोठी, अलईपुरा, जलालीपुरा, सरैयां, पुरानापुल, शकर तालाब, मुकीमगंज, चौहट्टा लाल खां, अर्दलीबाजार, छित्तनपुरा, नदेसर, शिवाला, गौरीगंज, कोयला बाजार आदि प्रमुख रहे।

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नमाज के बाद हुई सामूहिक दुआख्वानी : 'अलविदा जुमा' में नमाज के बाद लगभग सभी मस्जिदों में सामूहिक दुआख्वानी हुई। पेश इमाम के साथ-साथ लोगों ने रो-रो कर इस मुकद्दस अय्यम में रब की बारगाह में अपने तमाम गुनाहों की माफी मांगी। खुदा की बारगाह में अपनी टूटी-फूटी इबादतों को कबूल कराने व इमान पर खात्मे के साथ ही देश में एकता, अखंडता, तरक्की व खुशहाली के लिए भी दुआ मांगी गई।

शाही मस्जिद ज्ञानवापी में मौलाना अब्दुल आखिर नोमानी, खुदाबख्श जायसी लंगड़े हाफिज नई सड़क में मौलाना जकीउल्लाह असदुल कादरी, जामा मस्जिद नदेसर में मौलाना मजहरुल हक, मस्जिद दायम खां पुलिस लाइन चौराहा मौलाना मुबारक हुसैन, मस्जिद ढाई कंगूरा चौहंट्टालाल खां में हाफिज नसीम अहमद बशीरी, मस्जिद लाटशाही कचहरी में हाफिज हबीबुर्रहमान, मस्जिद लाट सरैयां में मौलाना जियाउर्रहमान, मस्जिद खरबूजा शहीद नदेसर में हाफिज शकील अहमद, मस्जिद याकूब शहीद नगवां में हाफिज ताहिर, मस्जिद हकीम सलामत अली पितरकुंडा में मौलाना शफीक मुजद्दिदी, शाही मस्जिद बादशाह बाग में मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद खाकी शाह शिवाला में मौलाना मुनीर आलम, मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी में मौलाना मुजीब आलम, मस्जिद बीबी रजिया चौक में मौलाना अजीज अहमद कादरी, मस्जिद उस्मानिया बड़ी बाजार में मौलाना हारुन रशीद नक्शबंदी, मस्जिद रंगढलवा शेख सलीम फाटक में मौलाना इकरामुद्दीन वासेफुल कादरी, मस्जिद ताजा व्यापारी का मैदान में मौलाना हबीबुर्रहमान मजाहरी, मस्जिद नई बस्ती गौरीगंज में मौलाना अमरुल हुदा, मस्जिद नार्मल स्कूल शिवपुर में हाफिज इसरारुल हक ने अलविदा जुमा की नमाज अदा कराई।

लगा सहायता शिविर : नई सड़क पर अलविदा की नमाज के मद्देनजर सहायता शिविर लगाकर जिला एवं महानगर अपराध निरोधक समिति की ओर से यातायात नियंत्रण में प्रशासन का सहयोग किया गया। शिविर में नगर पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार सिंह, राजेश कुमार सिंह, गंगा सहाय पांडेय, मृत्युंजय चक्रवर्ती, नेहरू पांडेय, प्रवीर चटर्जी, नसीर आदि उपस्थित थे। संचालन अशोक कुमार सुखमनी ने किया।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी पढ़ी गई अलविदा की नमाज : जंसा, कुरौना, हरसोस, बड़ौरा, गोराई, सत्तनपुर, हाथी बाजार, परसीपुर आदि गावों में भी अलविदा की नमाज पढ़ी गई। कड़ी धूप के बावजूद मुस्लिम बंधुओ ने बड़े उत्साह के साथ मस्जिदों में रमजानुल मुबारक के आखिरी जुमे की नमाज अदा की। वहीं शाति व्यवस्था कायम रखने के लिए एसओ जंसा पुलिस बल के साथ बराबर क्षेत्र में चक्रमण करते रहे।

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हैसियत के हिसाब से अदा करें सदके की रकम

वाराणसी : सदका-ए-फित्र गरीब व मिस्कीन को छोड़कर सभी को अदा करना जरूरी है। इसकी रकम या अदायगी को लेकर यदि किसी किस्म की गलतफहमी हो तो उलमा-ए-कराम से जरूर मशवरा लें। मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी बताते हैं कि एक किलो 633 ग्राम गेहूं सदका देना शरीअत में बयान है। इसकी वर्तमान कीमत 40 रुपये से कम है, लेकिन गरीबों की भलाई को देखते हुए इसे 40 रुपये रखा गया है। सदका-ए-फित्र की अदायगी अपनी हैसियत के हिसाब से करनी चाहिए। जौ, छुहारा, किशमिश व पनीर की अदायगी गेहूं की मात्र का दूना यानी 3 किलो 266 ग्राम या इसकी कीमत के बराबर क्रमश: 40 रुपये, 100 रुपये, 480 रुपये, 720 रुपये व 915 रुपये हैसियत वालों को सदके में निकालनी चाहिए।

-मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी (मुफ्ती-ए-बनारस )

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सामूहिक इफ्तार का सिलसिला जारी

वाराणसी : रमजान के आखिरी अय्यम में भी सामूहिक रोजा इफ्तार का सिलसिला बदस्तूर जारी है। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की ओर से आयोजित रोजा इफ्तार में रोजेदारों के साथ अन्य वर्ग के लोग शामिल होकर आपसी रिश्ते को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को कदीमी मस्जिद राजमंदिर में पार्षद अजीत सिंह के संयोजन में सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। वहीं रसूलपुरा स्थित गब्बू का इमामबाड़ा में अंजुमन अंसारे हुसैनी के संयोजन में सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। इसमें सभी वर्ग के लोगों ने शिरकत कर गंगा-जुमनी तहजीब को मजबूती दी। इफ्तार में मोहम्मद सगीर, मोहर्रम अली, जौहर अली, सैयद असगर मेहदी, मासूम अली, जाफर अली आदि शामिल थे।

रोजा इफ्तार में दिखी गंगा-जमुनी तहजीब : दानगंज क्षेत्र के टिसौरा (बभनपुरा) गाव स्थित मस्जिद में शुक्रवार की शाम रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुसलमान भाइयों के साथ ¨हदुओं ने भी प्रतिभाग किया। रोजेदारों ने मगरिब की अजान सुनकर रोजा खोला। इफ्तार में नौशाद खान, जमील खान, दुद्धन सिंह, अनिल, असलम बाबा, अलीहसन, दल्लू आदि शामिल थे।

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यौमुल कुद्स पर आयोजित हुए जलसे

वाराणसी : दारानगर स्थित शिया जामा मस्जिद में शुक्रवार को यौमुल कुद्स के मौके पर जुमे की नमाज के बाद जलसे का आयोजन हुआ। रमजान के आखिरी जुमे को यौमुल कुद्स के नाम से भी जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करना। जलसे की अध्यक्षता करते हुए इमामे जुमा बनारस मौलाना जफर हुसैनी ने कहा कि दुनिया में जहां भी जुल्म हो रहा है, चाहे वो किसी के भी ऊपर हो रहा है, हम उसका पुरजोर विरोध करते हैं। इस दौरान लोगों ने बैतुल मुकद्दस की आजादी के लिए अल्लाह से दुआ की। जलसे में मौलाना जाफर हसन, मौलाना इश्तियाक, मुनाजिर हुसैन मंजू आदि ने तकरीर की। संचालन मौलाना अमीन हैदर ने किया। वहीं मातमदार बनारसी ने कलाम पेश किया। जलसे में अजहर हुसैन जाफरी, हाजी नजीर, हाजी शाहिद, कासिम अली जानी, परवेज हसन आदि शामिल थे। शिया जामा मस्जिद अर्दली बाजार, रामनगर व बजरडीहा में भी अलविदा की नमाज के बाद जलसे का आयोजन हुआ, जिसमें क्रमश: मौलाना हैदर अब्बास, मौलाना जहीन हैदर व मौलाना बदरुल हसन ने तकरीर की।

इफ्तार आज : मुकीमगंज स्थित मदरसा इमानिया में 28 रमजान (24 जून) को नमाज, इफ्तार व मजलिस का आयोजन किया गया है।

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नन्हें रोजेदार :

रोजा रखकर परिवार के लिए करता हूं काम

वाराणसी : मासूम उम्र खेलने व इल्म हासिल करने की होती है। मगर कुछ बदनसीब ऐसे भी हैं जिनके सिर से पिता का साया कम उम्र में ही उठ जाता है। घर-परिवार चलाने के लिए उन्हें पढ़ाई छोड़ जीने की जंग लड़नी पड़ती है। ऐसे ही एक बदनसीब हैं बटलोहिया निवासी दस वर्षीय समीर अहमद, जिनके पिता बाबू लाल का काफी पहले इंतकाल हो चुका है। समीर रमजान का पूरा रोजा रखने के साथ ही कारखाने में काम कर मां का हाथ भी बंटाते हैं। वहीं काशी पुरा निवासी डा. जहांआरा के दस वर्षीय पुत्र राना मुदस्सर पिछले तीन वर्षो से पूरा रोजा रखते हैं। हकाक टोला निवासी अली नवाज खान की 11 वर्षीय बेटी अतिफा खान व नौ वर्षीय अलीशा खान भी पिछले दो-तीन वर्षो से रमजान के मुकम्मल रोजे रख रहीं हैं।

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सलाह :

हल्का व सुपाच्य भोजन लें

वाराणसी : बादलों की लुकाछिपी के कारण गर्मी व उमस से थोड़ी राहत मिली। छिटपुट बारिश से जहां कुछ क्षण के लिए राहत मिलती है, वहीं संक्रमित बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। मंडलीय अस्पताल के फिजिशियन डॉ. घनश्याम श्रीवास्तव कहते हैं ऐसे मौसम में खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। तली-भुनी चीजों से परहेज करते हुए हल्का व सुपाच्य भोजन करें। खाने से काफी पहले फलों को काटने से परहेज करें।

ब्रेड पकौड़ा

आवश्यक सामग्री : बेसन-200 ग्राम, ब्रेड स्लाइस-20, उबले हुए आलू-5, हल्दी 1 चुटकी, धनिया पाउडर एक टी स्पून, आमचुर एक टी-स्पून, हरा धनिया, हरा मिर्च, राई एक टी-स्पून, कड़ी पत्ता 8-10, नमक स्वादानुसार, तेल तलने के लिए-500 मिली।

बनाने की विधि : ब्रेड पकौड़ा बनाने के लिए सबसे पहले आप आलू उबलने के लिए कुकर में रख दीजिए। जब तक आलू उबल रहा है तब तक हम बेसन का घोल तैयार करेंगे। एक साफ बर्तन में बेसन के छान लेंगे। बेसन में आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर और स्वादानुसार नमक मिलाएं। बेसन, नमक, मिर्च के मिश्रण में करीब 400 मिली पानी मिलाकर गाढ़ा घोल तैयार कर लें। ब्रेड पकौड़े के लिए बेसन का घोल पकौड़ी के घोल से थोड़ा पतला होना चाहिए। घोल को खूब अच्छी तरह से फेंटने के बाद ढक कर करीब दस मिनट के लिए रख दीजिए। इस बीच में हम ब्रेड की स्टफिंग की तैयारी करेंगे। उबले हुए आलू को छील लीजिए। छीले हुए आलू को अच्छी तरह मेश कर लीजिए। लहसुन और अदरक को कद्दूकस कर लीजिए। हरी मिर्च को भी महीन काट लीजिए। कड़ाही में एक टेबलस्पून तेल गर्म कर लीजिए। तेल गर्म हो जाए तो राई और कड़ी पत्ता डाल कर चटका लीजिए। अब कड़ाही में घिसा हुआ लहसुन, अदरक और हरी मिर्च डाल दीजिए। जब लहसुन थोड़ा लाल हो जाए तो इसमें एक चुटकी हल्दी डाल दीजिए। अब कड़ाही में आलू डाल कर अच्छी तरह से मिला दीजिए। आलू को करीब पाच मिनट तक फ्राई कर लीजिए। आलू के मिश्रण में अमचुर, धनिया की पत्ती और नमक डालकर अच्छी तरह से मिला दीजिए। भुने हुए आलू को अब आच से उतार लीजिए। ब्रेड पकौड़े के लिए आपकी स्टफिंग अब तैयार है। ब्रेड के स्लाइस को तिकोने आकार में काट लीजिए। आम तौर पर ब्रेड पकौड़ा इसी आकार से बनते हैं, लेकिन आप चाहें ते इसे आयताकार भी काट सकते हैं। अब ब्रेड की स्लाइस पर मक्खन या जैम की तरह आलू के मिश्रण को फैला दीजिए। इस स्लाइस पर दूसरी खाली स्लाइस रख दीजिए। इसे हल्का से दबा दें। एक-एक करके आप सभी ब्रेड स्लाइस में आलू भरकर चिपका लीजिए। अब आपके ब्रेड पकौड़े को तेल में तलना है। इसके लिए आप करीब आधा लीटर तेल गर्म होने के लिए रख दीजिए। जब तेल अच्छी तरह से गर्म हो जाए तो गैस की आच मीडियम कर दीजिए। स्टफ की हुए ब्रेड की स्लाइस को बेसन के घोल में डालकर लपेट लीजिए। बेसन के घोल में लिपटे हुए ब्रेड पकौड़े को सावधानी से गर्म तेल में डाल दीजिए। ब्रेड पकौड़े को उलट-पलट कर तल लीजिए। जब पकौड़े का रंग सुनहरा हो जाए तो समझ लीजिए के ये पक गए हैं। पकौड़े को पकने में करीब 2-3 मिनट का समय लगता है। एक प्लेट में टिश्यू पेपर बिछाकर रख दीजिए। कड़ाही से पकौड़े निकालकर इसी टिश्यू पेपर पर रख दीजिए। टिश्यू पेपर पकौड़े में लगा अतिरिक्त तेल सोख लेता है। अब आपके गर्मागर्म ब्रेड पकौड़े तैयार हैं। इसे हरी चटनी या सॉस के साथ परोसें।


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