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भजनों में गूंजी मां वरुणा की कहानी

वाराणसी : आदि नदी वरुणा के तट पर गुरुवार की शाम लोक के रंगों में पगे भजनों से उनका बखान गूंजा। लोक क

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Apr 2017 02:01 AM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 02:01 AM (IST)
भजनों में गूंजी मां वरुणा की कहानी
भजनों में गूंजी मां वरुणा की कहानी

वाराणसी : आदि नदी वरुणा के तट पर गुरुवार की शाम लोक के रंगों में पगे भजनों से उनका बखान गूंजा। लोक कलाकारों ने गीतों से इस नदी की महिमा बताई और श्रद्धा भक्ति के रंग बिखेरे। सूर्यास्त के साथ पांच बटुकों ने धूप-दीप व कपूर से आरती उतारी। शंख ध्वनि व सस्वर मंत्रों के बीच अनुष्ठान किए गए। इससे लाल बहादुर शास्त्री घाट पर इंद्रधनुषी छटा निखर आई।

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भोजपुरी अलबम गायक अभिषेक दुबे ने 'जब तलक एही वरुणा में पानी रही, बनारस के सुखमय कहानी रही..' सुनाकर श्रद्धालुओं को विभोर कर दिया। उन्होंने 'जय हो शिवनंदन तोहरी धर के चरनिया.. ', 'हरि के भजन में सुबहे शाम भइल बा हो..' आदि भजन भी प्रस्तुत किए। ढोलक पर यूपी कालेज परीक्षा विभाग के केके श्रीवास्तव, बैंजो पर सुभाष सांवरिया और हारमोनियम पर संगीत कुमार ने संगत किया। संचालन लोकचेतना अध्यक्ष केके उपाध्याय ने किया। पन्ना पाठक, अजय सिंह, सरिता अग्रवाल, यशोदा बरनवाल, सीमा श्रीवास्तव, रमेश सिंह, ममता पांडेय, सुनील पांडेय व टीएन सिंह आदि थे।


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