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ऐतिहासिक कुंड व तालाबों में बहता है मलजल

वाराणसी : नगर में कुंडो व तालाबों पर जो कब्जा हो रहा है, इसमें नगर निगम भी सहभागी बन रहा है। एक तो स

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Mar 2017 01:30 AM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 01:30 AM (IST)
ऐतिहासिक कुंड व तालाबों में बहता है मलजल
ऐतिहासिक कुंड व तालाबों में बहता है मलजल

वाराणसी : नगर में कुंडो व तालाबों पर जो कब्जा हो रहा है, इसमें नगर निगम भी सहभागी बन रहा है। एक तो सीवेज का मलजल बहाकर गंदगी फैला रहा है ताकि आमजन वहा तक न जाएं, दूसरे कूड़ा फेंककर उसका दायरा भी कम कर रहा है। इसी का नतीजा है कि बकरिया कुंड, पितरकुंडा, पांडेयपुर पोखरे का दायरा लगातार कम होता जा रहा है।

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सीवेज के मलजल से प्रभावित कुंडों की बात की जाए तो सबसे पहले बकरिया कुंड का नाम आता है। धार्मिक महत्व के इस कुंड का जिक्र काशी खंड के 3104 श्लोक में दर्ज है। अलईपुर क्षेत्र स्थित इस कुंड का क्षेत्रफल 0.971 हेक्टेयर है। मौके पर तालाब है लेकिन कब्जे की जद में है। कुंड में सीवर का मलजल बहता है। सोनिया तालाब का क्षेत्रफल 0.304 हेक्टेयर है। इसे पाटा जा रहा है। कुछ ने मकान भी बना लिया है। सीवेज का मलजल तालाब में बहाया जा रहा है। हबीबपुरा स्थित मलदहिया पोखरा का क्षेत्रफल 0.417 है जिसे कूड़ा-करकट फेंककर पाटने की कोशिश हो रही है। लहरतारा स्थित कबीर प्राकट्य से जुड़ा सरोवर 17 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है। इस सरोवर के किनारे अवैध कब्जा व सीवेज का मलजल बहाया जा रहा है। यूं समझें कि अवैध कब्जों के नीचे कुंड व तालाब दबे हुए हैं। जिला प्रशासन बेपरवाह बना हुआ है। जमीन के कारोबारी सक्रिय हैं। सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का लाभ उठाते हुए बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बना रहे हैं। इतना ही नहीं दस्तावेज भी वैध करा ले रहे हैं।

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जल संचयन का बड़ा जरिया

बनारस के कुंड व तालाब जल संचयन का बड़ा जरिया है। यहां रामकुंड, लक्ष्मीकुंड समेत दर्जनों कुंड आपस में जुड़े हैं जिसमें बारिश का पानी जमा होता है। पूर्वजों द्वारा इतना अच्छा सिस्टम बनाया गया है कि कुंड में पानी अधिक होने पर वह गंगा में बह निकलता है लेकिन नगर निगम की उदासीनता व अवैध कब्जेदारों की सक्रियता ने इस सिस्टम को ध्वस्त कर दिया है।

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रामकुंड में भी बहता है मलजल

स्थानीय पार्षद ओमप्रकाश चौरसिया कहते हैं कि रामकुंड में भी सीवेज का मलजल बहता है। काफी प्रयास किया गया तो कुछ महीनों से कुंड में गंदे पानी का प्रवाह बंद हुआ है। बताया कि कुंड में गंदा पानी जमा होता है तो किनारे घाट पर दो पल गुजारना संभव नहीं हो पाता।

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डीपीआर तक कवायद सीमित

तीन वर्ष पूर्व विश्व बैंक, युनेस्को, सिटी एलायंस व सैफ्ट की संयुक्त टीम ने पांचों पंडवा व पुष्कर तालाब का निरीक्षण कर डिमास्ट्रेशन प्रोजेक्ट का खांका खींचा था। इसके बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर विश्व बैंक को भेजा गया था। कुछ काम हुए लेकिन मुकम्मल तौर पर योजना परवान चढ़ न सकी।

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..तो नौका बिहार का लेंगे आंनद

पांचो पंडवा व पुष्कर तालाब के लिए बेहद शानदार प्रोजेक्ट बना है। सारनाथ की तर्ज पर पांचो पंडवा का सुंदरीकरण करने की योजना है। राम भट्ट व रानी ताल को आपस में जोड़कर बड़ी झील का आकार दिया जाएगा ताकि पर्यटक नौका विहार का आनंद ले सकें। राम भट्ट तालाब के चारों ओर ग्रीन बेल्ट व पांचो पंडवा मंदिर को आकर्षक बनाने की योजना है। कमोवेश इसी प्रकार की योजना पुष्कर तालाब को लेकर भी बनी है।

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पितरकुंडा तालाब की सफाई शुरू

पितरकुंडा तालाब की गंदी तस्वीर बदलने का काम बुधवार को पावन दिवस चैत्र नवरात्र हिंदू वर्ष से प्रारंभकर कुंड से जलकुंभी निकाला जा रहा है। नगर निगम कुंभकर्णी नींद से जग गया है। इसके साथ पोखरे की पैमाइस तहसील से करा के अवैध कब्जे हटाकर पयर्टन स्थल की तर्ज पर विकसित करने की मांग स्थानीय लोगों ने की है।


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