पांच साल में आधुनिक नहीं हो सके बूचड़खाने
वाराणसी : प्रदेश में नई सरकार के आदेश पर अवैध बूचड़खाने बंद हो गए हैं। इससे मीट विक्रेताओं के रोजगार
वाराणसी : प्रदेश में नई सरकार के आदेश पर अवैध बूचड़खाने बंद हो गए हैं। इससे मीट विक्रेताओं के रोजगार पर संकट छा गया है। रोजगार के मद्देनजर जो संकट का परिणाम सामने आया है उसकी वजह पूर्व के आदेशों की अनदेखी है। वर्ष 2012 से नगर निगम आदेश पर आदेश जारी करता रहा लेकिन बूचड़खाने को आधुनिक नहीं किया गया जो आज तालाबंदी का कारण बना।
बताते हैं कि नगर निगम के आदेश पर न तो निजी संचालकों ने ही आधुनिकीकरण की ओर कदम बढ़ाया और न ही नगर निगम ने खुद के बूचड़खाने को आधुनिक करने की जहमत उठाई। वर्ष 2012 के जनवरी माह में तत्कालीन नगर आयुक्त आरपी सिंह ने कमलगढ़हा स्थित बूचड़खाने को आधुनिक करने के लिए नोटिस भेजा था। इसमें साफ कहा गया था कि कमलगढ़हा स्थित पशु वधशाला के तहत बड़े जानवर जैसे भैंस, भैंसा आदि का वध किया जाता है। वधशाला के तहत उत्प्रवाह शुद्धिकरण के लिए ईटीपी बायोडायजेस्टर यंत्र आप द्वारा स्थापित नहीं किया गया। वधशालाओं से जनित दूषित उत्प्रवाह को नगर निगम के सीवेज सिस्टम व नालों में बहाया जा रहा है जिससे गंगा नदी की जल गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। इतना ही नहीं इलाके में जल प्रदूषण फैलने की भी प्रबल आशंका है जो उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है। अधिक मात्रा में पशु वध किए जाने के कारण ठोस अपशिष्ट तथा रक्त का प्रबंधन न किए जाने के कारण पर्यावरण भी दूषित हो रहा है। चेताया गया था कि पूर्व में 31 अक्टूबर 2011 को भी इस मामले को लेकर अवगत कराया गया था कि तत्कालीन ठोस अपशिष्ट एवं रक्त, मांस व मज्जा के प्रबंधन की व्यवस्था प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुरूप करें।
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सरकार ने नहीं दिखाई इच्छाशक्ति
सत्योदय साकार समिति के मंत्री चंद्रकांती पाल का कहना है कि पूर्व की सपा सरकार ने कोर्ट के आदेश के अनुपालन में इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। कोर्ट के आदेश पर बूचड़खाने बंद कराकर उसे आधुनिक करना था लेकिन इस ओर कदम नहीं बढ़ाए गए। इतना ही नहीं पूर्व की सरकार का आदेश कागजों तक ही सीमित रहा। प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की और बूचड़खाने निमयों को ताख पर रखकर संचालित होते रहे। अब नई सरकार ने जनहित में पूर्व के आदेशों को कड़ाई से पालन कराना शुरू कराया है।
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नगर आयुक्त ने जांचा बूचड़खाना
नगर आयुक्त डा. श्रीहरि प्रताप शाही ने बुधवार को नगर के तीनों बूचड़खानों का हाल जाना। इसमें अर्दली बाजार व बेनियाबाग स्थित नगर निगम व कमलगढ़हा स्थित निजी बूचड़खाना थे। तीनों बूचड़खाना को नगर आयुक्त की निगरानी में कार्रवाई करते हुए पूर्व में बंद किया गया है। जांच के दौरान तीनों सील बंद मिले और वहां कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे आशंका हो कि नियमों के विरुद्ध किसी प्रकार का कार्य किया जा रहा है।