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बीएचयू में मेधावियों पर बरसा सोना

वाराणसी : काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के 101वें वर्ष के 99वें दीक्षांत समारोह में सोमवार को मेधावियों पर

By Edited By: Published: Tue, 17 Jan 2017 02:10 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jan 2017 02:10 AM (IST)
बीएचयू में मेधावियों पर बरसा सोना
बीएचयू में मेधावियों पर बरसा सोना

वाराणसी : काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के 101वें वर्ष के 99वें दीक्षांत समारोह में सोमवार को मेधावियों पर जमकर सोने की बरसात हुई। मुख्य अतिथि भारत रत्न प्रो. सीएनआर राव के हाथों गोल्ड मेडल एवं उपाधि पाकर विद्यार्थी गदगद हो गए। कैंपस स्थित एंफी थिएटर मैदान के मंच से चांसलर मेडल सहित 24 मेधावियों को 28 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। प्रमुख समारोह में दो छात्राएं नहीं पहुंच सकी थीं। मुख्य कार्यक्रम के बाद विभिन्न संकायों में भी हजारों उपाधियां वितरित की गई।

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स्वर्णिम भारत के लिए शाति सामंजस्य जरूरी

प्रो. राव ने कहा कि बीएचयू के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के विचार राष्ट्रीय फलक पर दुनिया को सकारात्मक संदेश देने वाले हैं। शोध क्षेत्र में विद्यार्थियों को स्वप्नद्रष्टा होना चाहिए, क्योंकि बिना स्वप्नद्रष्टा हुए शोध की उच्चता की प्राप्ति नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि भारत के स्वर्णिम इतिहास को ध्यान में रखते हुए हम सबको मानवता के प्रति शाति सहानुभूति सामंजस्य बनाने पर ठीक ढंग से काम करना होगा। इसके बाद ही हम राष्ट्र को समृद्ध एवं गौरवशाली बना सकते हैं। विद्यार्थियों से कहा कि वे अधिक से अधिक आइडिया तैयार कर एक ग्रेट आइडिया बनाएं। कहा कि सीखने की ललक हर विद्यार्थी एवं अध्यापक में होनी चाहिए, ताकि व्यक्ति आत्मप्रेरित हो सके। शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने की जिम्मेदारी छात्रों के साथ शिक्षकों की भी होती है।

मालवीय जी के उपदेशों को ग्रहण कर बनाएं योजना

प्रो. राव ने विद्यार्थियों से अपील की कि उन्हें मालवीय जी द्वारा दिए गए सभी महत्वपूर्ण उपदेशों को ग्रहण कर कार्य योजना में लगना चाहिए। महामना ने इसी विश्वविद्यालय के स्थापना काल के समय रवींद्रनाथ टैगोर एवं महात्मा गांधी केभी सुझाव लिए थे। उन्होंने युवाओं से समाज और राष्ट्र में मानवता के लिए कार्य करने का कहा। कहा कि इसी से देश की महान परंपराओं को बचाया जा सकता है।

बीएचयू में समाया है सौहा‌र्द्र और अनुशासन : कुलपति

दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मालवीय जी का उच्च नैतिक आदर्श अनुप्रमाणित करता रहा है जिसकी वजह से विश्वविद्यालय में आपसी सौहार्द्र और अनुशासन गहराई तक समाया हुआ है। बीएचयू के गर्भ से बहुत सारे महापुरुषों ने जन्म लिया है। उन्होंने विद्यार्थियों से समाज के शोषित एवं पीड़ित लोगों के लिए शोध एवं कार्य करने की अपील की।


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