ई-कचरा निस्तारण को बीएचयू ने की पहल
वाराणसी : मौजूदा दौर में सेलफोन, टीवी, पेन-ड्राइव, सीडी, एयर कंडीशनर, फ्रिज, कंप्यूटर आदि का उपयोग क
वाराणसी : मौजूदा दौर में सेलफोन, टीवी, पेन-ड्राइव, सीडी, एयर कंडीशनर, फ्रिज, कंप्यूटर आदि का उपयोग काफी हो रहा है। हालात यह हैं कि हर व्यक्ति प्रति वर्ष 3.274 किग्रा ई-कचरे का उत्पादन कर रहा है। इस कारण देश में प्रति वर्ष 41 लाख टन से ज्यादा ई-कचरा एकत्र हो रहा है। इसमें पाए जाने वाले रासायनिक धातु पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग की ओर से एक पहल की गई है। यहां के वैज्ञानिकों ने लैब में 'एसिडो बैसीलस फेरोक्सिडान' नाम जीवाणुओं की मदद से ई-कचरे के निस्तारण किया। इस विधि से कंप्यूटर में लगने वाले प्रिंटेड सर्किट बोर्ड से करीब 99 प्रतिशत तांबा एवं चांदी को विलय करने में सफलता मिली है। यह कार्य उत्तर प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है।
रमना कूड़ा घर से लिया नमूना
रसायन शास्त्र विभाग के डा. नंदलाल सिंह के निर्देशन में शोध सहायक शशि आर्या एवं बीएचयू की महिला वैज्ञानिक नेहा श्रीवास्तव ने ई-कचरे को लेकर कार्य शुरू किया। इसके तहत रमना स्थित कूड़ा घर से कचरे का नमूना लैब में लाया गया जिसमें बैक्टीरिया थे। प्राकृतिक विधि से ही यह बैक्टीरिया कूड़े को निस्तारित करते हैं। इसको अब लैब में टेस्ट किया गया। यहां पर कूड़े में मौजूद जीवाणुओं को निकाला गया। फिर जीवाणु द्वारा मदर यानी सर्किट बोर्ड जो ई-कचरा बन चुका है। उसको तोड़कर उसमें जीवाणुओं को एक पदार्थ में रखा गया। इसमें पहले से ही कार्बन, नाइट्रोजन था जिससे के जीवाणु जिंदा रह सके।
फिल्टर में मिला 99 फीसद तांबा
इसको 30 डिग्री तापमान में रखा गया। पांच-छह दिन में ही सर्किट बोर्ड में मौजूद तांबा अलग हो गया। इसके बाद इसको फिल्टर (वाष्पीकरण) किया गया जिसमें 99 फीसद तांबे की रिकवरी हो गई।
देश में 1.3 अरब मोबाइल
डा. सिंह ने बताया कि ट्राई के आंकड़ों अनुसार इन दिनों देश में 1.3 अरब मोबाइल इस्तेमाल किया जा रहा है। बताया कि उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष 10381.1 टन ई-कचरा एकत्र हो रहा है, जबकि महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 20270.59 टन है। वैसे नियमानुसार कंपनियों की भी जिम्मेदारी है कि वह ई-कचरे को वापस लेकर उचित निस्तारण करें। इसके लिए एक कानून भी बना हुआ है।