भारत में है समृद्धि और शांति का समन्वित रूप
वाराणसी : सुप्रसिद्ध कथावाचक स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती ने रामकथा के तीसरे दिन रविवार को कहा कि भार
वाराणसी : सुप्रसिद्ध कथावाचक स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती ने रामकथा के तीसरे दिन रविवार को कहा कि भारत देश कृषि प्रधान संतों का देश है। यहां समृद्धि और शांति का समन्वित रूप ही भारत है।
श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में भाईजी के जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में दुर्गाकुंड स्थित अंध विद्यालय में चल रही कथा में उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम शांति के मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं तो मां जानकी समृद्धि की देवी के रूप में जानी जाती है। शांतिभंग करने के लिए जब कोई कदाचारी 'समृद्धि' की चोरी का षडयंत्र करता है तो उसकी रक्षा में भगवान कोई भी कोताही नहीं करते हैं। अर्थात उसको समूल नष्ट कर शांति और समृद्धि दोनों को सुरक्षित रखते हैं। श्रीराम कथा मर्मज्ञ संत के मोहक अंदाज और भावजन से श्रोताओं को विशेष आनंद की अनुभूति भक्तों को हो रही है। कथापीठ पर विराजमान संतश्री का स्वागत किशन जालान, अखिलेश खेमका, मूलराज शर्मा व श्यामसुंदर प्रसाद ने किया।