अमेरिका के तीन विश्वविद्यालयों का बीएचयू से करार
वाराणसी : काशी ¨हदू विश्वविद्यालय को अमेरिका के और तीन विश्वविद्यालयों का साथ मिल गया है। कुलपति प्र
वाराणसी : काशी ¨हदू विश्वविद्यालय को अमेरिका के और तीन विश्वविद्यालयों का साथ मिल गया है। कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी की पहल पर वहां के तीन विश्वविद्यालयों बफलो, मेरीलैंड व लिब्रासिका यूनिवर्सिटी से परस्पर शैक्षणिक आदान-प्रदान एवं सहयोग के लिए समझौता किया गया है। यह संभव हो पाया है कि कुलपति के 16 से 23 सितंबर तक हुए अमेरिकी दौरे की वजह से।
वे बीएचयू के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में सैन फ्रासिस्को के सेंटा क्लारा में आयोजित वैश्रि्वक पुरातन छात्र समागम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधन करने पहुंचे थे।
अमेरिकी दौरे से लौटने के बाद रविवार को वीसी लॉज के सभागार में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह जानकारी कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी ने दी।
मालूम हो कि इससे पहले विभिन्न देशों के करीब 45 विश्वविद्यालयों से शैक्षणिक समझौता हो चुका है। प्रो. त्रिपाठी ने यूनिवर्सिटी एट बफलो के वरिष्ठ शिक्षाविदों एवं प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर वैश्रि्वक उच्च शिक्षा (ग्लोबल हायर एजूकेशन) के भविष्य के संबंध में व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श किया। यूनिवर्सिटी एट बफलो के प्रेसीडेंट प्रो. सतीश त्रिपाठी की ओर से 20 सितंबर को शैक्षणिक गुणवत्ता के सुधार के लिए परस्पर शैक्षणिक आदान-प्रदान एवं सहयोग हेतु सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया। बीएचयू की ओर से भौमिकी विभाग के प्रो. मल्लिकार्जुन जोशी और यूनिवर्सिटी एट बफलो विश्वविद्यालय की ओर उनके प्रोवोस्ट प्रो. चार्ल्स जूकोस्की, प्रो. स्टीफन डनेट, प्रो. बारबरा मोरगन, प्रो. स्कॉट वेबर, प्रो. जान वेबर, प्रो. डेविड शर्म, डा. वाल्टर हाकला, डा. जान वुड आदि उपस्थित थे।
कुलपति ने कहा कि बीएचयू के पुरातन छात्र प्रो. सतीश त्रिपाठी व वी¨रदर के मुदगिल अमेरिका के दो विश्वविद्यालयों में अध्यक्ष एवं सीईओ हैं। पत्रकार वार्ता के दौरान रजिस्ट्रार डा. केपी उपाध्याय, आइएमएस निदेशक प्रो. वीके शुक्ला, प्रो. सत्येंद्र सिंह आदि मौजूद थे।
समाज व टीचिंग को जोड़ने वाले रिसर्च बेहतर
कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि बीएचयू में उन रिसर्चो पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जो सीधे समाज एवं टीचिंग से अधिकाधिक सरोकार रखते हैं। इसके लिए टीचिंग एंड रिसर्च मानिट¨रग कमेटी बनाई गई है। कहा कि इसी व्यवस्था के कारण अमेरिका में रिसर्च का महत्व काफी है। साथ ही यूनिवर्सिटी एकेडमी इंडस्ट्रीज इंटरफेस को भी लागू करने की बात स्वीकारी। ताकि समय-समय पर कोर्सो को रिवाइज किया जा सके। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बीएचयू को किसी भी कीमत में राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने दिया जाएगा। साथ ही छात्राओं को आठ बजे के बाद हास्टल से बिना किसी विशेष जरूरी कार्य के बाहर न निकलने की सलाह दी। हां, अगर बहुत जरूरी है तो वह अपने वार्डन को बताकर जा सकती हैं। हॉस्टल में रहे छात्र-छात्राओं की हर सुविधाओं को प्रशासन विशेष ध्यान दे रहा है।