नैनो टेक्नोलॉजी में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर
जागरण संवाददाता, वाराणसी : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि नै
जागरण संवाददाता, वाराणसी : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत ने दस साल पहले काम करना शुरू किया था। आज भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है, जबकि यूएसए व चीन का बजट भारत की तुलना में पचास गुना अधिक है। ऐसे में भारत कम खर्च में अधिक इनपुट दे रहा है। वह बुधवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने आए प्रो. आशुतोष ने कहा कि नैनो मैटेरियल का अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है। सेंसर, बायो सेंसर, डिजिटल डिफेंस, लैब में नैनो टेक्नोलॉजी का प्रयोग तेजी से हो रहा है। इस क्रम में लेबोरेटरी में सेंसर लगाने के दिशा में कार्य हो रहा है। ऐसे में जल्द ही लोगों की जेब में लेबोरेटरी होगी। कहा कि स्मार्ट फोन के माध्यम से ब्लड प्रेशर सहित अन्य की जांच अब संभव है। जल्द ही फूड व वाटर क्वालिटी की जांच भी स्मार्ट फोन के माध्यम से संभव होगी।
अब वर्ष 2035 को लेकर बन रही योजनाएं
अब तक वर्ष 2020 की परिकल्पना को लेकर देश में विकास किया जा रहा था। अब वर्ष 2035 को ध्यान में रखते हुए टेक्नोलॉजी का विकास किया जा रहा है।
स्थापित होंगे 70 सुपर कंप्यूटर
डीएसटी सुपर कंप्यूटिंग मिशन पर 4500 करोड़ खर्च करने की योजना बनाई गई है। पिछले सात वर्ष में यह राशि खर्च होनी है। इसके तहत लगभग 70 सुपर कंप्यूटर स्थापित करने की योजना है।
नवोन्मेषी संस्कृति का बीजारोपण
उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) नवयुवकों में नवोन्मेषी संस्कृति के बीजारोपण में लगा है। उद्योगों को विश्वविद्यालय से जोड़ने का प्रयास है। यदि कोई उद्योग रिसर्च करने के लिए अनुदान देता है तो डीएसडी भी बराबर -बराबर यानी 50 फीसद अनुदान मुहैया कराता है। इसी प्रकार इंटरनेशनल रिसर्च के लिए डीएसडी एक विश्वविद्यालय को 20 से 30 करोड़ रुपये आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है।
विभागीय स्तर पर भी सहयोग
साइंस व टेक्नोलॉजी आधारित कार्य के लिए डीएसटी विभिन्न संस्थाओं को विभागीय स्तर पर दस करोड़ रुपये तक सहयोग करता है।
लैब के लिए मदद
साइंस व टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिकों व छात्रों को भी डीएसटी मदद कर रहा है। इस क्रम में पहली बार आइटीआइ व पालीटेक्निक के विद्यार्थियों को भी आर्थिक सहयोग करने का निर्णय लिया है।
इनसेट..
इंस्पायर अवार्ड का बदला स्वरूप
विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा इंस्पायर अवार्ड का स्वरूप अब बदल दिया गया है। पहले प्रत्येक स्कूल के दो बच्चों को विज्ञान पर आधारित मॉडल बनाने के लिए डीएसटी 5000 रुपये आर्थिक सहयोग करता था। ऐसे में अनेक बच्चे दूसरे से मॉडल बनवाकर विज्ञान प्रदर्शनी में प्रदर्शित कर देते थे। अब बच्चों को डिजिटल भारत, मेक इन इंडिया, आस-पास की समस्या पर सुझाव मांगे जाएंगे। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के तहत चयनित दस हजार बच्चों के सुझाव शामिल किए जाएंगे। इसमें से पूरे देश से एक हजार बच्चों को राष्ट्रपति भवन में एक सप्ताह तक प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा।