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कालीन मेला में साठ देशों के जुटेंगे खरीदार

जागरण संवाददाता, वाराणसी : भारत सरकार (वस्त्र मंत्रालय) के सहयोग से कालीन निर्यात संवर्धन परिषद की

By Edited By: Published: Sat, 10 Oct 2015 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 08:53 PM (IST)
कालीन मेला में साठ देशों के जुटेंगे खरीदार

जागरण संवाददाता, वाराणसी :

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भारत सरकार (वस्त्र मंत्रालय) के सहयोग से कालीन निर्यात संवर्धन परिषद की ओर से चार दिवसीय इंडिया कारपेट एक्सपो का आयोजन डा. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में किया जाएगा। उद्घाटन रविवार को दिन में 11 बजे टेक्सटाइल्स सेक्रेटरी (भारत सरकार) डा. संजय कुमार पांडा करेंगे।

छावनी क्षेत्र स्थित एक होटल में शनिवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में सीईपीसी के अध्यक्ष कुलदीप राज वाटल ने उक्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस बार कालीन मेले में तीन सौ से ज्यादा निर्यातक और बुनकरों ने 6646 वर्गमीटर का स्थान बुक कराया है। इसमें 303 स्टाल सजेंगे। वाराणसी में यह 11 वां एक्सपो है। कालीन मेला में लगभग 60 देशों में से 440 विदेशी खरीदार आ रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से अफगानिस्तान, अर्जेन्टीना, आस्ट्रेलिया, बहरीन, बंग्लादेश, बेल्जियम, ब्राजील, अमेरिका, बुल्गारिया, कनाडा, चिली, चीन, कोलम्बिया, सेज रिपब्लिक, डेनमार्क, इजिप्ट, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, घाना, ईरान, इटली, जापान, जार्डन, कजाकिस्तान, कुवैत, लेबनान, लग्जमबर्ग, मलेशिया, मारीशस, मैक्सिको, नेपाल, नीदरलैंड, न्यूजीलैण्ड, नाइजीरिया, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, सउदी अरब, सर्बिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, कोरिया, स्वीटजरलैंड, थाईलैण्ड सहित अन्य कई देश शामिल हैं।

कालीन निर्यात में 17 फीसद की कमी

वाराणसी : परिषद के अध्यक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियों केचलते गत वित्तीय वर्ष में कालीन निर्यात में 17 फीसद की गिरावट आई है। इस वित्तीय वर्ष में अभी तक 8 फीसद की है। इसकी वजह सरकार द्वारा मारकेंडाइज एक्सपोर्ट फ्राम इंडिया स्कीम के तहत मिलने वाली दो फीसद की सहायता राशि वापस लेना तथा मार्च 2014 के बाद निर्यातकों को तीन फीसद की दर से मिलने वाले इंटरेस्ट सावेंशन को समाप्त करना है। धीमी निर्यात वृद्धि के लिए दूसरे कालीन निर्यातक देशों की अपेक्षा भारत में निर्यात ऋण में ऊंचा ब्याज की दर भी है। प्रधानमंत्री का क्षेत्र होने के बाद भी बनारस में कालीन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कुछ खास नहीं किया जा रहा।


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