पर्यटन स्थलों पर गंदगी पर्यटकों को चिढ़ा रही मुंह
जागरण संवाददाता, वाराणसी : सांस्कृतिक एवं प्राचीन नगरी काशी में पर्यटन स्थलों की स्थिति दिनोंदिन
जागरण संवाददाता, वाराणसी : सांस्कृतिक एवं प्राचीन नगरी काशी में पर्यटन स्थलों की स्थिति दिनोंदिन दयनीय होती जा रही है। न तो वहां साफ-सफाई है और न ही आस-पास स्वच्छता। गंदगी व कूडे़ से पटा पर्यटन स्थल बाहर से आने वाले यात्रियों को मुंह चिढ़ाते हैं। चाहे सारनाथ हो, भारत माता मंदिर हो या फिर गंगा घाट। चहुंओर गंदगी व कूडे़ का अंबार है। सफाई के लाख दावों के बावजूद पर्यटक व तीर्थयात्रियों को मंदिर, घाट व बौद्ध स्थल से पहले गंदगी से दो-चार होना पड़ता है।
काशी के पर्यटन स्थलों में से एक कैंट-सिगरा मार्ग पर स्थित भारत माता मंदिर की बात करें तो यहां प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक आते हैं। इनमें भारतीयों के साथ-साथ विदेशी भी शामिल होते हैं। दुनिया का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां अखंड भारत का नक्शा विद्यमान है। मंदिर परिसर की सफाई की बात करें तो सारी जिम्मेदारी एक व्यक्ति पर है। मंदिर की चहारदीवारी टूटी हुई है। दिन भर छुट्टा पशुओं का जमावड़ा रहता है। टूटी चहारदीवारी के ठीक बगल में सड़क पर कूडे़ का अंबार लगा हुआ है। परिसर में स्थित सेवा उपवन पार्क की स्थिति भी दयनीय है। पर्यटक आते हैं तो मंदिर के साथ उजड़ रहे उपवन की फोटो भी कैमरे में कैद कर ले जाते हैं। मुख्य मार्ग से मंदिर तक जाने के लिए करीब 20 मीटर की सड़क की स्थिति भी खस्ताहाल है। मंदिर के ठीक गेट पर जलजमाव व दुर्गध फैली रहती है।
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घाटों पर मुंह चिढ़ा रही गंदगी
विश्व प्रसिद्ध काशी के घाटों की सफाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फावड़ा उठाया तो नगर निगम, सामाजिक संस्थाएं और प्रतिष्ठानों में घाटों की सफाई की होड़ मच गई। उनके उत्साह को देखकर उम्मीद जगी कि अब काशी स्वच्छ हो जाएगी, पर एक साल बाद जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। दशाश्वमेध, अस्सी, रीवा सहित कुछ घाटों को छोड़ दें तो बाकी घाटों पर गंदगी आज भी पीएम के अभियान को मुंह चिढ़ा रही है। स्वच्छता अभियान के नाम पर एक साल में सफाई से ज्यादा उसके दिखावे की होड़ रही।
घाटों पर जाने वाले रास्ते भी गंदे
काशी के घाटों को कैमरे व आंखों में कैद करने की चाह लिए देश-विदेश से यहां आने वाले पर्यटकों को घाटों से पहले गंदगी का सामना करना पड़ता है। उन्हें काफी संभल कर चलना पड़ता है। खिड़किया घाट, भदैनी, राजघाट एवं उससे आगे के घाटों के रास्तों पर गंदगी पसरी रहती है। इसी तरह दशाश्वमेध घाट से मणिकर्णिका और उसके पहले की घाटों को जोड़ने वाले रास्ते पर भी भीषण गंदगी है। सीढि़यों की बात करें तो बाढ़ का पानी उतर जाने के बावजूद अब तक उन पर सिल्ट जमी हुई है।
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गंदगी के अंबार में सारनाथ
काशी का मुख्य पर्यटन स्थल सारनाथ गंदगी से घिरा हुआ है। न तो समुचित सफाई है और न ही कूड़ा उठान की व्यवस्था। यहां तक कि सड़क किनारे नालियों की सफाई भी समय से नहीं होती। इसके चलते नालियां बजबजा रही हैं। कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी नहीं होता है। पर्यटक नाक पर रुमाल रख कर सारनाथ परिसर में प्रवेश करते हैं। चौखंडी स्तूप के पास कूडे़ का अंबार लगा है जो पर्यटकों का स्वागत करता है। कूडे़ से दिनभर दुर्गध उठती रहती है। सड़क किनारे भी जगह-जगह कूडे़ का ढेर है।
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तिब्बती बौद्ध मंदिर मार्ग पर भी गंदगी
सारनाथ को पर्यटन की दृष्टि से साफ-सुथरा करने के लिए गत दिनों नगर निगम के अधिकारी चौपाल लगाए थे जिसमें कूड़ादान की मांग की गई थी, लेकिन अब तक कूड़ादान नहीं पहुंचे। सारनाथ चौराहे से प्राचीन तिब्बती बौद्ध मंदिर मार्ग पर और भी स्थिति खराब है। इस मार्ग पर सड़क किनारे कूडे़ के ढेर के साथ महीनों से नालियों की सफाई नहीं हुई है। मार्ग पर जापानी बौद्ध मंदिर है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक आते हैं।