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सदन की गरिमा फिर तार-तार, पार्षदों ने पलटे कुर्सी-मेज

जागरण संवाददाता, वाराणसी : नगर निगम सदन की गरिमा मंगलवार को एक बार फिर तार-तार हुई। प्रस्तावों पर

By Edited By: Published: Wed, 07 Oct 2015 01:38 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2015 01:38 AM (IST)

जागरण संवाददाता, वाराणसी : नगर निगम सदन की गरिमा मंगलवार को एक बार फिर तार-तार हुई। प्रस्तावों पर चर्चा के दौरान सदस्यों ने न केवल हंगामा किया बल्कि कुर्सियां व टेबल तक पलट दिए। सपा पार्षद महापौर के टेबल तक पहुंच गए और उनका मेज पलट दिया। पार्षदों की मंशा को भांपते हुए महापौर रामगोपाल मोहले वहां से हट गए। हंगामे को देखते हुए सदन स्थगित कर दिया गया। 20 मिनट बाद जब दोबारा बैठक शुरू हुई तो नारेबाजी और हंगामे के बीच सदन ने होटल, रेस्टोरेंट और नर्सिग होम्स के कर में 100 फीसद की वृद्धि सहित सभी लंबित प्रस्तावों को पास कर दिया।

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मंगलवार को सदन शुरू होते ही सपा पार्षद दल के नेता विजय जायसवाल, शकर बिसनानी, वरुण सिंह व अन्य ने तीन अक्टूबर की बैठक स्थगित करने के मामले में महापौर के अधिकारों पर सवाल उठाया। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम का दावा है कि फंड नहीं है, ऐसे में हर वार्ड में विकास के लिए 20-20 लाख रुपये कैसे देंगे। वह नगर निगम से इसकी पुष्टि कराने पर अड़ गए। जब महापौर ने यह कहकर टालने की कोशिश की कि 13वें वित्त आयोग और अवस्थापना निधि में पर्याप्त धन है और इसी मद से काम कराए जाएंगे।

सपा पार्षदों ने कार्रवाई नोट कर रहे कर्मचारियों की टेबल-कुर्सियां पलट दीं और महापौर तक पहुंच गए। जब उनका मेज भी पलट दिया गया तो वह हालात को देखते हुए वहा से 12.45 बजे निकल गए। माहौल शांत होने पर 25 मिनट बाद 1.10 बजे सदन की बैठक शुरू हुई तो पिछली बैठक में बचे प्रस्ताव 91 (1) के तहत नगर निगम की ओर से पेश किया गया। होटल, रेस्टोरेंट, लॉज व नर्सिग होम्स आदि के शुल्क में दोगुने की वृद्धि का प्रस्ताव पास कर दिया गया। लाइसेंस शुल्क में वृद्धि की चर्चा के दौरान गतिरोध दिखा। सपा पार्षदों का कहना था कि मानव श्रम से चलने वाली चीजें जैसे रिक्शा, ट्राली आदि के शुल्क में वृद्धि न की जाए। भाजपा के नरसिंह दास ने इसका विरोध किया। मामूली चर्चा के बाद सदन में प्रस्ताव पारित हो गया। आधा घंटा की चर्चा के बाद यह प्रस्ताव भी पास हुआ कि नगर निगम छोटी नावों के लिए फिर से लाइसेंस देगा। हालाकि पार्षद अजीत सिंह के इस सवाल पर नगर निगम के अधिकारी बगलें झांकते नजर आए कि जब नावों का लाइसेंस नहीं दिया जा रहा है तो आरटीआइ में निगम ने कैसे जवाब दिया है कि 492 नावों को लाइसेंस दिए गए हैं।


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