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बनारस बंद पर जिच, अन्याय प्रतिकार यात्रा निकालेंगे

वाराणसी : प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद काशी के संत लाठीचार्ज के विरोध में पांच अक्तूबर को 'अन्य

By Edited By: Published: Sun, 04 Oct 2015 02:48 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2015 02:48 AM (IST)
बनारस बंद पर जिच, अन्याय प्रतिकार यात्रा निकालेंगे

वाराणसी : प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद काशी के संत लाठीचार्ज के विरोध में पांच अक्तूबर को 'अन्याय प्रतिकार यात्रा' निकालने पर प्रतिबद्ध हैं। इस दिन 'बनारस बंद' का भी आह्वान किया गया है। हालांकि 'बंद' के मुद्दे पर विभिन्न व्यापारिक व सामाजिक संगठनों के मध्य एक राय न बन पाने से जिच कायम है। यात्रा की तारीख करीब आने के साथ ही साधु-संतों की सक्रियता बढ़ गई है।

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तय की भावी रणनीति

शनिवार को केदार घाट के शंकराचार्य आश्रम श्रीविद्या मठ में ' न्याय सभा' का आयोजन किया गया, जिसमें संतों, विद्वानों संग विभिन्न संगठनों ने भागीदारी की। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के सानिध्य में हुई सभा में संत व काशीवासी 'अन्याय प्रतिकार यात्रा' निकालने पर प्रतिबद्ध दिखे। बंद व प्रतिकार यात्रा की सफलता सुनिश्चित करने के बाबत भावी रणनीति तय की गई। यात्रा में देशभर के संतों सहित विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक व स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर सहमति बनी। इस बात पर क्षोभ व्यक्त किया गया कि प्रशासन यात्रा में अडं़गा लगाने की कोशिश कर रहा है। यह भी कहा गया कि 'अन्याय प्रतिकार यात्रा' का नेतृत्व कोई व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि बाबा भोलेनाथ स्वयं करेंगे। इस दिन भीड़ नियंत्रित करने के लिए स्वयंसेवकों की टीम बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

तेज हुई कवायद

इस बीच बनारस बंद को सफल बनाने के लिए समर्थन जुटाने की कवायद तेज हो गई है। एक-एक संगठन को जोड़ने की पहल की गई है। इन संगठनों के प्रमुखों से समर्थन पत्र भी मांगा गया है। सभा में 22 सितंबर को गंगा में मूर्ति विसर्जन न करने देने तथा संतों पर लाठीचार्ज के दोषियों को कड़ी सजा देने की भी मांग जोरदार ढंग से उठी। करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विसर्जन पावन गंगा की गोद में ही करने का संकल्प लिया गया।

दो खेमों में बंटे राजनीतिक दल

बनारस बंद व अन्याय प्रतिकार यात्रा को लेकर राजनीतिक दल दो खेमों में बट गए हैं। कांग्रेस जहां बंद व यात्रा का खुलकर समर्थन कर रही है, वहीं समाजवादी पार्टी ने इसका विरोध करते हुए संतों से अपना आंदोलन स्थगित करने को कहा है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी तटस्थ है।


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