एक ट्रेन की कहानी, हवा तो कोई ढूंढ़े पानी
वाराणसी : सरकार रेल में नई तकनीक और बेहतर यात्री सुविधाओं की बात करती है, लेकिन हकीकत से मुंह फेरकर।
वाराणसी : सरकार रेल में नई तकनीक और बेहतर यात्री सुविधाओं की बात करती है, लेकिन हकीकत से मुंह फेरकर। मुसाफिर सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। पैसेंजर छोड़िए, एक्सप्रेस ट्रेनों में भी अकाल पड़ा है। बोगियों में कोई हवा ढूंढ़ता है, कोई रोशनी तो कोई पानी।
बानगी वाराणसी - बरेली एक्सप्रेस। कैंट स्टेशन से नियमित रात 11.40 बजे रवाना होने वाली इस ट्रेन में गुरुवार को यात्री सुविधाओं की पड़ताल की गई। प्लटेफार्म नंबर नौ पर खड़ी गाड़ी की जनरल बोगी में 11.25 बजे बैठे लोगों को छोड़कर सभी बाहर टहलते मिले। अंदर यात्री उमस से बेहाल। कोई गमछा तो कई अखबार झेल राहत पाने में जुटा है। कुछ लोग इस उम्मीद में स्विच चटर-पटर कर रहे हैं कि शायद पंखा चल जाए। पूरी बोगी में एक-दो ट्यूबलाइट जल रही है। पर्याप्त रोशनी न होने से अलग मुसीबत। कोई भाई को आवाज दे रहा है तो कोई बेटी-बेटों को। टॉयलेट में भी अंधेरा। एक दो को छोड़कर किसी बोगी में पानी नहीं। टॉयलेट में तो खास तौर से नहीं। नतीजा, बदबू फैली हुई है और लोग नाक बंद किए पड़े हैं।
बिना नंबर की
आरक्षित बोगी
इस ट्रेन में आरक्षित बोगी भी लगती है, मगर बिना नंबर की। एकाध दिन छोड़कर बोगी सबसे पीछे लगती है। इसमें भी तो लाइट जल रही थी और न पंखे चल रहे थे।
दर्द यात्रियों का
बोगी में पंखे नहीं चल रहे। मजबूरी में बाहर खड़ा हूं। ट्रेन चलेगी तो बोगी में जाऊंगा।
- कबीर आलम खान, गोंडा।
पूरी बोगी में एक लाइट जल रही है। यदि कोई घटना हो गई तो कौन जिम्मेदार होगा।
- मनोज पांडेय, चौकाघाट।
शौचालय और बेसिन से दुर्गध आ रही है। एक क्षण खड़ा होना दूभर हो गया है।
- रवि कुमार, शाहगंज जौनपुर।
पानी नहीं होने से काफी दिक्कत है। हमे जौनपुर जाएंगे। लेकिन जिन्हें दूर जाना है उन्हें काफी परेशानी होगी।
- अंसार, जौनपुर।
रेलवे किराया ले रहा, सुविधाएं नहीं दे रहा है। कोई सुनने वाला नहीं है।
- दीपक राय, मुगलसराय।
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