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चिंता मत कीजिए, हम आपको सस्ती दवा दिलाएंगे..

जागरण संवाददाता, वाराणसी : आपको दवा चाहिए। क्या यहां पर आपको दवा नहीं मिल रही है?, आप चिंता मत की

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 01:47 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 01:47 AM (IST)

जागरण संवाददाता, वाराणसी :

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आपको दवा चाहिए। क्या यहां पर आपको दवा नहीं मिल रही है?, आप चिंता मत कीजिए। हम आपको सस्ती दवा दिलवा देंगे। आप पर्ची लेकर बाहर में स्थित फला दुकान पर चले जाइए। जी हां, कुछ इसी तरह से भूमिका बताते हुए बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में कुछ दलाल मरीजों एवं उनके तीमारदारों के हमदर्द बनकर दवा दिलाने के नाम पर पीछे ही लग जा रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश के कोने-कोने और बिहार से आए गरीब मरीजों की गाढ़ी कमाई कुछ देर में ही हाथ से निकल जा रही है। हालांकि अस्पताल परिसर में काउंटर भी बने हुए हैं जहां पर किफायती दरों पर दवाएं मिल जाती हैं। बावजूद इसके भोली-भाली जनता दलालों के बहकावे में आकर सस्ती दवा के चक्कर में बाहर की दुकानों में जाने को मजबूर हो जाती है।

मालूम हो कि पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान काशी ¨हदू विश्वविद्यालय का सर सुंदरलाल अस्पताल ही है। यहां पर तमाम रोगों के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के चिकित्सक हैं। यही वजह है कि यहां पर रोजाना हजारों मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। डाक्टरों के प्रति लोगों के विश्वास का नतीजा ही है जिसके कारण यह संस्थान निरंतर नई उपलब्धियां हासिल करते जा रहा है। इसके बीच कुछ ऐसी खामियां हैं, जिसके कारण महामना पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित इस संस्थान की छवि को धक्का लग रहा है। आरोप है कि यहां पर आने वाले मरीजों की दवा की पर्ची देखते ही कुछ तथाकथित दलाल पीछे लग जाते हैं। आरोप यह भी है कि चंद चिकित्सक जानबूझ कर ऐसी दवाएं लिखते हैं जो चिन्हित दुकानों पर ही मिल सके। गुरुवार को जब दैनिक जागरण ने पड़ताल की तो ऐसे मामले सामने आए। हालांकि सभी चिकित्सक ऐसे नहीं है, जो अस्पताल में मौजूद दवाओं से परहेज करते हों। कई ऐसे भी हैं जो मरीजों की सेवा में पूरी ईमानदारी के साथ सदैव लगे रहते हैं। हां, कुछेक ऐसे हैं, जिसके कारण दलालों और दुकानों की चांदी कट रही है। सासाराम से आए संजय, मुगलसराय के रामकुमार, वाराणसी के सेवापुरी की ऊषा मिश्रा आदि का कहना था कि अधिकांश ऐसी दवाएं हैं जो अस्पताल में नहीं मिल रही है। इसके कारण मजबूरन बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है। और तो और कुछ लोग पीछे ही लग जा रहे हैं कि वे सस्ती दवा दिला देंगे। वहीं जो दुकानदार प्रतिष्ठित कंपनियों की बेहतर दवाएं बेच रहे हैं उनको भी चंद लोगों के कारण बदनामी झेलनी पड़ रही है। वैसे वह मरीजों के हित में दवाइयां देते हैं।


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