मानक पूरा नहीं, दाखिले की तैयारी
जागरण संवाददाता, वाराणसी : नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के नए मानक के अनुरूप संपूर्णानंद
जागरण संवाददाता, वाराणसी : नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के नए मानक के अनुरूप संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में अध्यापकों की संख्या काफी कम है। बावजूद बीएड में 77 विद्यार्थियों का दाखिला किया जा चुका है। वहीं अब एमएड में दाखिले की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए प्रवेश सेल का गठन भी कर दिया गया है। इस पर शिक्षाशास्त्र विभाग के ही अध्यापकों ने आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों की दी गई उपाधि की मान्यता फंस सकती है।
एनसीटीई ने सत्र 2015-16 से बीएड व एमएड का कोर्स पूरे देश में दो वर्ष का कर दिया है। साथ ही कोर्स के संचालन के लिए नया मानक भी बना दिया है। नए मानक के अनुसार 50 छात्रों की एक यूनिट मानी गई है। बीएड में एक यूनिट की मान्यता के लिए कम से कम आठ अध्यापकों के पद अनिवार्य कर दिए गए हैं। इसी प्रकार एमएड में एक यूनिट के लिए दस शिक्षकों की अनिवार्यता हैं। दूसरी ओर विश्वविद्यालय के बीएड में 77 दाखिले हो चुके हैं। अब विश्वविद्यालय को नए मानक के अनुसार बीएड में दो यूनिट की शर्ते पूरी करनी होगी। यानी दो यूनिट की मान्यता के लिए न्यूनतम 16 अध्यापकों के पद आवश्यक है। वहीं शिक्षाशास्त्र विभाग में शासन की ओर से शिक्षकों के नौ पद ही स्वीकृत हैं। इसमें भी तीन पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में बीएड की मान्यता खतरे में है। दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन ने दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एमएड में एक यूनिट चलाने के लिए कम से कम दस अध्यापकों की जरूरत पड़ेगी। इस प्रकार शिक्षाशास्त्र विभाग में कुल 26 शिक्षकों के पद होने चाहिए जबकि वर्तमान में नौ पद ही स्वीकृत है। इस पर पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सुभाष चंद्र तिवारी आपत्ति भी जता चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कुलपति को भी पत्र लिखा है। इसमें मान्यता समाप्त होने की आंशका जताई गई है।
अब तक नहीं बना पाठ्यक्रम
दूसरी ओर नए मानक के अनुसार बीएड, एमएड का पाठ्यक्रम अब तक नहीं बन सका है। पाठ्यक्रम बन जाने के बाद विद्यापरिषद व कार्यपरिषद का भी अनुमोदन होना है। वहीं एनसीटीई ने सभी विश्वविद्यालय मानक को पूरा करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया है। कुलपति प्रो. यदुनाथ दुबे ने कहा कि मानक पूरा करने के लिए संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति की जाएंगी। साथ ही शासन से मानक के अनुरूप पद स्वीकृति कराने के लिए प्रयास किए जाएंगे।