सुहाग की खातिर खुद की चिता सजाने निकलीं
जागरण संवाददाता, वाराणसी : एक हाथ में बच्चों की कलाई, दूसरे में अधजली लकड़ियां थामे महिलाओं की आ
जागरण संवाददाता, वाराणसी :
एक हाथ में बच्चों की कलाई, दूसरे में अधजली लकड़ियां थामे महिलाओं की आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। बीते एक साल से पति का मुंह नहीं देखा, कान आवाज सुनने को तरस गए। दहशतगर्दो की कैद में पति सही सलामत हैं भी या नहीं कोई जानकारी नहीं। सरकार की तरफ कोई मदद न मिलने से क्षुब्ध पांच महिलाएं गुरुवार को आंतकवाद विरोध दिवस पर अपनी चिता सजाने निकल पड़ीं। उन्हें साथ मिला आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का।
सूचना मिलते ही कोतवाली, चौक समेत कई थानों की फोर्स निकल पड़ी महिलाओं को रोकने। मैदागिन पर सभी को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में निजी मुचलके पर छोड़ने के बाद उन्हें घर की ओर रवाना किया गया।
एक साल से हैं बोडो उग्रवादियों की कैद में पांच कारोबारी
बिहार की ¨रकी गुप्ता के पति सुनील गुप्ता, रसड़ा-बलिया की बेबी के पति मिट्ठू, मीरा के पति माणिकचंद, सरस्वती देवी के पति संजय और शोभा के पति अशोक गुप्ता बीते वर्ष मेघालय गए थे चावल बेचने। मेघालय प्रांत के वेस्ट गारो हिल्ल जिला के रंभागिरी से बोडो उग्रवादियों ने पांचों कारोबारियों का 25 मार्च 2014 को अपहरण कर लिया था। पांचों की रिहाई के लिए पचास लाख रुपये फिरौती मांगी गई थी। बिचौलिया भरत व संजू के माध्यम से उग्रवादियों तक दस लाख रुपये पहुंचाए लेकिन उनके पतियों की रिहाई नहीं हुई।
जंतर-मंतर से लेकर पीएम के संसदीय कार्यालय पर धरना
कई महीने बीतने पर भी जब केंद्र व राज्य सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तब बीते वर्ष चौदह अक्टूबर को पांचों अपहृत कारोबारियों के परिजनों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना शुरू किया। तीन दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात हुई। आश्वासन तो मिला लेकिन वह धरातल पर नहीं दिखा। उग्रवादियों की कैद में एक वर्ष गुजरने पर कारोबारियों की पत्िनयों ने परिजनों के साथ प्रधानमंत्री के रवींद्रपुरी स्थित संसदीय कार्यालय पर भी प्रदर्शन किया लेकिन उसका भी परिणाम नहीं निकला।
कबीरचौरा से निकाला जुलूस -
बलिया के डीएम से पांच दिनों पूर्व आत्मदाह की अनुमति मांगने वाली अपहृत कारोबारियों की पत्नियां अपने बच्चों के साथ गुरुवार को वाराणसी पहुंचीं। कबीरचौरा पर जुटे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ हाथ में लकड़ी व तख्तियां लेकर मणिकर्णिका घाट की ओर बढ़ीं। सूचना मिलते ही मैदागिन पर महिला थाना, चौक, कोतवाली और दशाश्वमेध थाने की फोर्स पहुंच गई। सभी को वहां रोकने के बाद पुलिस कोतवाली ले आई। महिलाओं समेत 21 लोगों का शांतिभंग की आशंका में चालान कर दिया। क्षुब्ध होकर महिलाएं व कार्यकर्ता कोतवाली थाने के बाहर धरने पर बैठ गए।
सूचना पर एसीएम द्वितीय समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और निजी मुचलके पर जमानत देने के बाद अपनी निगरानी में महिलाओं को उनके घर रवाना कराया।