मूसलधार व ओलावृष्टि ने दो घंटे तक रोक दिया जनजीवन
जागरण संवाददाता, वाराणसी : इन दिनों गजब तरीके से बेअंदाज हो चले मौसम ने बड़े बड़े जानकारों को भी है
जागरण संवाददाता, वाराणसी : इन दिनों गजब तरीके से बेअंदाज हो चले मौसम ने बड़े बड़े जानकारों को भी हैरत में डाल दिया है। मानो देवराज के कैलेंडर में वर्षा माह की तारीखें बदल गई हों ..कुछ इसी तरह से अप्रैल के महीने में सावन-भादों की तरह धुआंधार पानी बरसा रहे बादलों ने बनारस के कुछ इलाकों में बुधवार को ओलावृष्टि भी कर डाली। बादलों की उमड़ घुमड़, कड़क चमक के बीच तीसरे पहर लगभग तीन बजे से पांच बजे तक बादलों ने जमकर पानी गिराया, रमना, डाफी, मोहन सराय व हरहुआ क्षेत्र में ओले भी गिराए। परिणाम, शहर में हर ओर जनजीवन जैसे ठहर गया। बारिश से बचने के लिए लोग दुकानों, घरों के छज्जों के नीचे घंटों खड़े रहे। दो घंटे में बादलों ने 23.8 मिमी पानी गिरा दिया। इसके चलते शहर में जगह जगह जलजमाव हो गया। इन सबके बीच रह रहकर चलता हवा का झोंका सिहरन भी दे जाता। इसके बाद मौसम ने फिर जबरदस्त करवट ली ..पानी गिराते गिराते अचानक न मालूम क्या हुआ, कि बादलों के तेवर ढीले पड़ गए और धूप निकल आई। कई दिनों से कुदरत का यह करिश्मा देख लोग हैरान थे, परेशान तो हैं ही।
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चलता रहा धूप-छांव का खेल
सूर्योदय के बाद सब कुछ ठीक ठाक था। इसके बाद कभी धूप कभी छांव का खेल चलता रहा। मौसम कभी सुहाना दृश्य दिखाता तो कभी तल्ख धूप से दीदार करा देता। मगर यह क्या, दोपहर बाद तो बादलों ने घेरेबंदी शुरू कर दी और तेज हवा भी चलने लगी। देखते ही देखते उमड़ते घुमड़ते बादलों ने रिमझिम शुरू की और फिर बड़ी बड़ी बूंदे गिरने लगीं। कुछ देर के लिए जब पानी रुकता तो लोग निकल पड़ते गंतव्य की ओर लेकिन कुछ दूर जाकर ही उन्हें रुकने के लिए ठांव ढूंढना पड़ता क्योंकि तब तक बूंदें गिरनी शुरू हो चुकी होतीं।
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दुकानें हो गई ठसाठस
शहर के व्यस्ततम बाजार गोदौलिया में तो लगभग हर दुकान में लोग खड़े होकर पानी के रुकने का इंतजार करते। दुकानें ठसाठस हो जातीं, जब पानी थमता तो लोग निकलते और फिर बरसात शुरू होते ही दूसरी दुकान में घुस जाते। कमोवेश यही स्थिति शहर में हर ओर की दुकानों में थी। सामान को भींगने से बचाने के लिए दुकानदारों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। हाल यह था कि कुछ देर तक के लिए तो कुछ स्थानों पर सड़कें जैसे वीरान हो गई।
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वर्षा के बाद जाम
बरसात रुकते ही लोग निकल पड़े गंतव्य तक जाने के लिए। पहले आगे निकलने की होड़ में हर जगह जाम लग गया। लंका, भेलूपुरा, रेवड़ी तालाब, गोदौलिया, अंधरापुल, पांडेयपुर या यह कह लीजिए की शहर में हर ओर पहले बारिश का दर्द, फिर जाम का दंश लोगों ने भुगता। जलजमाव तो अलग से झेलना पड़ा।
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सड़कों पर फिसलन
जहां-जहां सड़कें खोदकर छोड़ दी गई हैं वहां वहां मिट्टी ने कीचड़ की शक्ल ले ली है। दो दिनों से हो रही बारिश और इसी कीचड़ से वाहनों के निकलने के चलते पहियों से होते हुए कीचड़ का दायरा भी बढ़ गया है। लोग इसी राह पर गिरते पड़ते आते जाते दिखे।
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मध्य भारत चक्रवाती दबाव में
मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय कहते हैं कि अभी एक दो दिन तक बरसात कब शुरू हो जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। मध्य भारत चक्रवाती दबाव में है। हवा का रुख पुरवा है। इसकी वजह से बंगाल की खाड़ी से नमी पहुंच रही है और लोकल हीटिंग भी हो रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में पर्याप्त नमी पहुंच चुकी है। इन दोनों के मेल से बिगड़ रहा है मौसम का मिजाज। अभी सुधार के संकेत नहीं है।
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आर्द्रता व तापमान
बारिश के बावजूद 24 घंटे में तापमान में अधिक अंतर तो नहीं आया लेकिन आर्द्रता का स्तर बढ़ गया। आर्द्रता का अधिकतम स्तर तो 91 फीसद पर स्थिर रहा लेकिन न्यूनतम स्तर 52 से बढ़कर 89 फीसद पर पहुंच गया। अधिकतम तापमान शून्य दशमलव एक डिग्री बढ़कर 32.1 से 32.2 तथा न्यूनतम तापमान भी शून्य दशमलव एक डिग्री बढ़कर 20.6 से 20.7 डिग्री सेल्सियस हो गया।
पांच दिनों में इस प्रकार रही तापमान की चाल ( डिग्री सेल्सियस में)
तिथि अधिकतम न्यूनतम
11 अप्रैल 39.6 19.6
12 अप्रैल 30.4 25.7
13 अप्रैल 33.8 21.4
14 अप्रैल 32.1 20.6
15 अप्रैल 32.2 20.7