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चरक संहिता में निहित ज्ञान के प्रयोग पर जोर

वाराणसी : आयुर्वेद संकाय (बीएचयू) के धन्वंतरि सभागार में शनिवार को सिद्धांत दर्शन विभाग की ओर से चरक

By Edited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 06:43 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 06:43 PM (IST)
चरक संहिता में निहित ज्ञान के प्रयोग पर जोर

वाराणसी : आयुर्वेद संकाय (बीएचयू) के धन्वंतरि सभागार में शनिवार को सिद्धांत दर्शन विभाग की ओर से चरक संहिता के प्रायोगिक एवं व्यावहारिक प्रासंगिकता पर दो दिनी संगोष्ठी का उद्घाटन हुआ। इस दौरान आयुर्वेदविदें का सम्मान भी किया गया। मुख्य वक्ता राजस्थान आयुर्वेद विवि जोधपुर के पूर्व कुलपति प्रो. रामहर्ष सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में चरक संहिता में निहित ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग पर जोर देना चाहिए।

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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के पूर्व निदेशक एवं आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलपति प्रो. बनवारी लाल गौड़ ने चरक संहिता के विभिन्न उद्धरणों से उसकी सार्वकालिक प्रासंगिकता बताई। इस मौके पर पुस्तक का विमोचन किया गया। मुख्य अतिथि थे प्रो. राणागोपाल सिंह, अध्यक्षता संकाय प्रमुख प्रो. मनोरंजन साहू, विषय प्रवर्तन प्रो. बृज कुमार द्विवेदी, स्वागत प्रो. प्रदीप कुमार गोस्वामी, संचालन डा. मुरलीधर पालीवाल व धन्यवाद डा. रानी सिंह ने दिया।

इनका सम्मान : आयुर्वेद संकाय के पूर्व संकाय प्रमुखों प्रो. प्रेमवती तिवारी, प्रो. गोविंद प्रसाद दुबे, प्रो. रामहर्ष सिंह, प्रो. विनोद कुमार जोशी, प्रो चंद्रभूषण झा तथा अवकाशप्राप्त शिक्षक प्रो. सत्यदेव दुबे एवं डा. इंद्र प्रताप सिंह का सम्मान किया गया। संकाय के शिक्षक प्रो. आनंद चौधरी, प्रो. संगीता गहलोत, प्रो.केके पांडेय आदि उपस्थित थे।


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