मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे नहीं, आज सेंट्रल जेल पधारें
वाराणसी : काशी का केंद्रीय कारागार साक्षी रहा है इतिहास की कई करवटों का। इस परिसर ने स्वतंत्रता समर
वाराणसी : काशी का केंद्रीय कारागार साक्षी रहा है इतिहास की कई करवटों का। इस परिसर ने स्वतंत्रता समर के कई 'अडै़लों' का अभिमान भी देखा है। सिर पर कफन बांधकर निकले दीवानों के हाथ-पैरों में बंधी बेड़ियों की झमकती संगत से निकले 'देश राग' का सम्मान भी देखा हैं। बलिदानी जत्थों की हुंकारें सुनी है, कोड़ों की मार से उधड़ गई पीठ के बाद भी कराह की जगह वंदेमातरम् की ललकारें भी सुनी हैं।
याद करना हो तो शुक्रवार 27 फरवरी (चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि) को मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारों को जाने वाले रास्तों को मोड़ दें केंद्रीय कारागार की ओर जहां सौ तीर्थो की आभा से दमकते एक चबूतरे को आपका इंतजार है, जो आजादी के बाद पैदा हुई पीढ़ी के गरजते कंठों से भारत माता की जय सुनने को सालों-साल से बेकरार है। जी हां, यही है वह निठुर चबूतरा जिसने उस दिन बरतानवी हुकूमत की बहशत के प्रतीक चमड़े के कोड़े की शक्ल में किशोर वय क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की नंगी पीठ पर बरसते हुए उनकी देह के साथ इस चबूतरे को भी लहूलुहान कर दिया था। एक बात और, यह कोई न्योता या विनती नहीं एक प्रयास है आपको अपने पुरखों के उस वायदे की याद दिलाने का जिसमें उन्होंने वीरगति को प्राप्त हर स्वातं˜य सेनानी का स्मृति तर्पण करते हुए खुद अपने को वचनबद्ध किया था इस शपथ से कि-'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।'
सो मित्रों! ऐसे ही एक राष्ट्रीय मेले का दिन आपके द्वार पर है। आइये! अपनी समवेत अंजलियों से हम इस यश: तीर्थ पर श्रद्धा के फूल चढ़ाएं और आने वाली पीढि़यां इन मेलों को सहेजती-संवारती रहें हाथ से हाथ जोड़कर संजोएं बस ऐसी ही कामनाएं।
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कुछ खास बिंदु
आजाद सरीखे महान सेनानी की याद में कारागार प्रशासन हर वर्ष 27 फरवरी को विशेष आयोजन करता है। आजाद की पुण्यतिथि पर कारागार में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में कैदी व बंदीरक्षक बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
चबूतरे पर अब लग गई प्रतिमा
अंग्रेजी हुकूमत के दौरान चंद्रशेखर आजाद एक दिन के लिए केंद्रीय कारागार में बंद थे। इस दौरान अंग्रेजों ने उन्हें दस कोड़े लगाए थे। उसी स्थान पर उनकी मूर्ति की स्थापना की गई जो आज भी वहीं है, और कैदियों द्वारा नित्य पूजित है।
लगेगी बड़ी प्रतिमा
केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक संजीव त्रिपाठी का कहना है कि बहुत जल्द आजाद की बड़ी प्रतिमा लगाई जाएगी। जेल परिसर में आधुनिक लाइट से सजा हरा-भरा पार्क भी आजाद की स्मृति में ही समर्पित होगा। उन्होने यह जानकारी दी कि आजाद की पुण्यतिथि के मौके पर इस पवित्र चबूतरे पर कोई भी पुष्पांजलि अर्पित कर सकता है। उन्हें प्रवेश की कुछ सामान्य औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी।