प्रधानमंत्री के गांव में दो मिनट तक रहा सन्नाटा
जयप्रकाश पाण्डेय ------------- वाराणसी : पाकिस्तान के पेशावर में स्कूली बच्चों के दिल दहला वा
जयप्रकाश पाण्डेय
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वाराणसी : पाकिस्तान के पेशावर में स्कूली बच्चों के दिल दहला वाले कत्लेआम ने, मस्तानों की नगरी काशी को भी स्तब्ध कर दिया है। सरहद पार नौनिहालों को गोलियों से भून देने वाले आतंकवादियों के वहशीपन के खिलाफ चरम पर पहुंची क्रोधाग्नि के ताप से लोग मुट्ठियां भींचे नजर आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांसद ग्राम जयापुर स्थित विद्यालय में बुधवार को दो मिनट का मौन रखा गया। दहशतगर्दी की भेंट चढ़े पाकिस्तान के मृत छात्रों को श्रद्धांजलि देने के लिए बच्चों ने आंखें बंद कर लीं। इतना ही नहीं, पेशावर के आर्मी स्कूल में हुए मौत के नग्न तांडव के विरोध व मासूम छात्रों की याद में, काशी के आर्मी पब्लिक स्कूल में भी दो मिनट का मौन रखा गया। सांस्कृतिक राजधानी के दूसरे स्कूलों में भी दो मिनट का सन्नाटा खिंचा।
सरहद की बंदिशों को परे झटकते हुए सांसद नरेंद्र मोदी के गांव जयापुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में बच्चों ने जब श्रद्धांजलि के लिए आंखें बंद कीं, तो मानो हवा भी थम गई। अचानक पूरे गांव में सन्नाटे की आवाज गूंजने लगी। सन 1947 के पहले का हिन्दुस्तान नजर के सामने था, कि जब कोई विभाजन रेखा नहीं हुआ करती थी, कि जब रोटी के बीच तेरा-मेरा का भेद नहीं था। जयापुर प्राथमिक विद्यालय में श्रद्धांजलि देने वाले बच्चे भी मासूम थे, महज कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच तक के बीच पढ़ने वाले ..मगर गुरुओं के बताने पर उन्हें यह अहसास तो था ही कि हमारे पड़ोस में बच्चों के साथ ऐसा कुछ हो गया है, जो होना नहीं चाहिए था। हमेशा उधम मचाने वाले बच्चों को मौन देख आसपास के गांव वाले भी थमककर खड़े हो गए। दो मिनट तक जयापुर में सन्नाटे का राज हो गया।
ऐसा ही हुआ 39 जीटीसी परिसर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल में। यहां के स्कूली बच्चों ने भी मौन रखा, श्रद्धांजलि दी और भगवान से प्रार्थना की कि जगह कोई भी हो, लेकिन ऐसी घटना दोबारा कहीं न हो। कस्तूरबा बालिका विद्यालय में भी बालिकाओं ने आंसुओं के माध्यम से पाकिस्तान के मृत छात्रों को श्रद्धांजलि दी। नगर के कई स्कूलों में इस तरह की शोक सभाएं हुई, कैंडिल मार्च निकाले गए। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपील भी की थी।
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एक मार्मिक संदेश
मंगलवार को पेशावर में छात्रों के कत्लेआम के बाद व्हाटस ऐप पर एक अंजान लेखक का बेहद मार्मिक मैसेज चल रहा था। ज्यों का त्यों-
''आज कुछ बच्चे घर नहीं जाएंगे, वो 26/11 था, आज 16/12 है, कल धरती हमारी थी, हथियार तुम्हारे थे, आज धरती भी तुम्हारी है, हथियार भी तुम्हारे हैं
हमें दुख कल भी था
हमें दुख आज भी है''।
''कैसी होगी उस मां की हालत, जिसके बच्चे ने कहा होगा कि मैं आज स्कूल नहीं जाउंगा ..और मां ने उसे डांट डपटकर जबरदस्ती स्कूल भेज दिया होगा''।