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लीड---काशी के कायाकल्प की शुरूआत दिसंबर से

बोले संयुक्त सचिव ------------- -ऐतिहासिक स्वरूप को बिना छेड़े हृदय योजना के तहत होगा विकास -दो

By Edited By: Published: Wed, 29 Oct 2014 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 29 Oct 2014 01:00 AM (IST)

बोले संयुक्त सचिव

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-ऐतिहासिक स्वरूप को बिना छेड़े हृदय योजना के तहत होगा विकास

-दो सौ करोड़ का काम होगा तेज तो तीन माह में दिखने लगेगा स्वरूप

जागरण संवाददाता, वाराणसी : काशी की आत्मा को हृदय योजना के तहत संवारा जाएगा। प्राथमिक तौर पर करीब दो सौ करोड़ रुपये का बजट बनाया गया है। हालांकि जरूरत के हिसाब से बजट को बढ़ाया भी जा सकता है। योजना के तहत काशी के कायाकल्प की शुरूआत दिसंबर से होगी। तेज गति से तीन माह में काशी का बदलता स्वरूप दिखने लगेगा। योजना की विशेषता है कि शहर के ऐतिहासिक स्वरूप को बिना छेड़े विकास कार्य होंगे। यह जानकारी केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव व हृदय योजना के निदेशक प्रवीण प्रकाश ने मंगलवार को पत्रकारों से अनौपचारिक वार्ता में दी। इससे पूर्व संयुक्त सचिव ने दीनापुर स्थित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, सारनाथ के नरोखर में निर्माणाधीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, चौकाघाट स्थित सीवरेज सिस्टम, भदऊ चुंगी में कूड़ा निस्तारण, भैसासुर घाट पर बने पक्के घाट, बेनियाबाग में प्रस्तावित मल्टी स्टोरी वाहन स्टैंड आदि का निरीक्षण किया। संयुक्त सचिव ने बताया कि हृदय योजना के तहत देश की सात हेरिटेज सिटी का चयन हुआ है। इसमें काशी के साथ ही अमृतसर, अजमेर, मथुरा, गया, कांचीपुरम आदि हैं। इसके तहत इन शहरों में उनकी ऐतिहासिक मौलिकता को जिंदा रखते हुए विकास किया जाएगा जिसके बाद ये शहर स्मार्ट सिटी की श्रेणी में आ जाएंगे। योजना के तहत 10 पेज का एजेंडा तैयार किया गया है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, हेरिटेज प्लानिंग, सफाई प्रबंधन, सांस्कृतिक विकास, शहर का विस्तार, वाईफाई, सेनिटेशन, ऐतिहासिक धरोहरों व स्थलों का विकास, गंगा समेत अन्य नदियों व घाटों का सुंदरीकरण, आधुनिक संचार माध्यमों से लैस शहर का विकास किया जाएगा। इस योजना में काशी से सटे छोटे शहरों के विकास की रणनीति भी शामिल है।

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कार्यो की होगी सघन निगरानी

बताया कि हृदय योजना के तहत शहर में होने वाले विकास कार्यो की निगरानी होगी। स्वीकारा कि निगरानी के अभाव से ही अब तक हुए तमाम कार्य पूरे नहीं हुए। एसटीपी के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हुई तो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण नहीं हो सका जबकि इन योजनाओं के तहत पाइप लाइन बिछा दी गई, जो आश्चर्यजनक है।

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कूड़ा डंपिंग क्षेत्र नहीं

भदऊचुंगी के पास नगर निगम के अधिशासी अभियंता एससी सिंह ने बताया कि नगर में कूड़ा के लिए डंपिंग क्षेत्र नहीं है इसलिए सड़क व नदी किनारे फेंका जाता है। बताया कि करसड़ा व रमना ट्रीटमेंट प्लांट है, डंपिंग क्षेत्र नहीं।

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मास्टर प्लान न होने पर चिंता

संयुक्त सचिव ने नगर निगम अधिकारियों से सालिड वेस्ट मैनेजमेंट पर जानकारी मांगी तो वे किसी प्रकार का मास्टर प्लान नहीं बता सके। इसपर संयुक्त सचिव ने चिंता जाहिर की। कहा कि बड़े शहर में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए मास्टर प्लान होता है। यहां गंदगी की यही वजह भी है। उन्होंने संसाधनों व सफाई कर्मियों की कमी, एटूजेड से अनुबंध आदि की जानकारी भी अधिकारियों से ली।

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जेब में रखी प्लास्टिक की गिलास

निरीक्षण के दौरान संयुक्त सचिव ने गर्मी के चलते रास्ते में कोल्ड ड्रिंक पीया। इस दौरान वह भैंसासुर घाट पर पहुंच गए। वहां हर जगह कूड़ा था लेकिन उन्होंने प्लास्टिक की गिलास नहीं फेंकी। उसे जेब में रखा। बहुत मुश्किल से रास्ते में एक जगह कंटेनर मिला तो उसमें गिलास फेंका। बार-बार गायब हो रहे नगर निगम के अधिशासी अभियंता एससी सिंह को फटकार लगाई, साथ रहने के लिए उन्हें अपनी कार में ही बैठा लिया। निरीक्षण के दौरान जल निगम, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, नगर निगम, सीएंडडीएस के अधिकारी मौजूद थे।


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