डायरिया से बालक की मौत, डेंगू पीड़ित दो भर्ती
वाराणसी : कुछ तो मौसम का असर दूसरे प्रशासन की लापरवाही, संक्रामक रोगों का तेवर आक्रामक हो चला है। इसका ही असर कि मंडलीय अस्पताल में शनिवार की देर रात डायरिया पीड़ित एक बालक ने दम तोड़ दिया, वहीं रविवार को डेंगू के दो मरीज भर्ती किए गए।
जैतपुरा के रेहान (ढाई वर्ष) की उल्टी दस्त से हालत गंभीर हुई तो परिवारीजन उसे शनिवार देर रात मंडलीय अस्पताल ले आए। जांच में डायरिया की पुष्टि हुई और इलाज शुरू किया गया। इस बीच इलाज के दौरान ही भोर चार बजे उसने दम तोड़ दिया। इसके अलावा भोर में ही रामपुर (भदोही) के मनोज (25 वर्ष) को तेज बुखार की हालत में भर्ती किया गया। लक्षणों के आधार पर संदेह हुआ तो किट से जांच की गई, इसमें डेंगू की पुष्टि हुई। इसी तरह मुकीमगंज के शिवपूजन (50) को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जांच में डेंगू पीड़ित होने की पुष्टि की गई। अस्पताल में वायरल फीवर से तीन और एक अन्य डायरिया पीड़ित को भी भर्ती किया गया। लगभग एक दर्जन मरीजों को दवा और सलाह देकर छोड़ा गया।
-----------------
बिना मच्छरदानी के डेंगू पीड़ित
अभी पिछले ही माह डेंगू जागरूकता माह मना चुके स्वास्थ्य विभाग ने हद कर दी। मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़, वह भी अस्पताल में ही। मंडलीय अस्पताल में भर्ती डेंगू पीड़ितों को बिना मच्छरदानी के ही रखा जा रहा। खास यह कि यह जानते हुए भी कि इसका खामियाजा खुद उन्हें और भर्ती अन्य मरीजों को भी डेंगू के रूप में भुगतना पड़ सकता है। यही नहीं वार्ड के दरवाजे पर ही अपर निदेशक व अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक का इस संबंध में आदेश भी चस्पा है कि डेंगू के मरीजों को मच्छरदानी के भीतर रखना आवश्यक है। कारण बताया गया है कि ऐसा न करने पर डेंगू पीड़ित को काटने के बाद दूसरे को मच्छर काट ले तो उसे भी डेंगू हो सकता है।
------------------
सुचारू हो गई 24 घंटे बिजली
मंडलीय व महिला अस्पताल में अतत: रविवार की रात आठ बजे 24 घंटे की आपूर्ति वाली विशेष लाइन दुरूस्त हो गई। लाइन एक माह से गड़बड़ थी और इससे अस्पताल में रोजाना घंटों बिजली आपूर्ति बाधित रहती थी। पिछले दो दिनों में संकट अधिक गहरा गया था। शुक्रवार और शनिवार को क्रमश: आठ व नौ घंटे बिजली कटी। इसे दैनिक जागरण से 21 सितंबर के अंक में प्रकाशित किया था।
शासन से मिले दो टेक्नीशियन
मंडलीय अस्पताल में ईसीजी और पैथालाजी की दिक्कतें अब दूर होंगी। इसके लिए शासन की ओर से एक-एक ईसीजी व लैब टेक्नीशियन की तैनाती कर दी गई है। इस संबंध में रविवार को फैक्स भी अस्पताल प्रशासन को मिल गया।
---------------------
प्रसव के आपरेशन में भी
चार घंटे डाक्टर का इंतजार
स्वास्थ्य सुविधाओं का जाल बिछाने के दावे फिर भी मंडल के सबसे बड़े महिला अस्पताल में प्रसव जैसे मामले में हद दर्जे की लापरवाही की गई। रविवार को सात महिलाओं का आपरेशन से प्रसव कराया जाना था। इनमें से कई का पीड़ा से बुरा हाल लेकिन एनेस्थेटिस्ट के न होने से डाक्टर असहाय खड़ी थीं। हैरत की बात यह कि उन्हें दोपहर 12 बजे बुलावा भेजा गया लेकिन उनका कोई पता नहीं था। इस बीच परिवारीजनों का रूख आक्रामक होता देख एनेस्थेटिस्ट को इसकी जानकारी दी गई और लगभग चार बजे उनके आने पर आपरेशन और प्रसव कराए जा सके।