फातमान में निकला दुलदुल
वाराणसी : दरगाह फातमान के संस्थापक शेख अली हजी की याद में चार दिवसीय मजलिस के अंतिम दिन रविवार की शाम फातमान में दुलदुल निकला। मातमी अंजुमन जव्वादिया ने नौहाख्वानी व मातम किया। प्रत्येक शख्स दुलदुल को चूमने के लिए बेताब था। कई लोग तो अलम को देखकर बिलख पड़े।
इससे पहले मजलिस में मौलाना कुर्रनुलऐन (मुरादाबाद) व मौलाना सैय्यद इकरार हैदर (रामपुर) ने मजलिस को खिताब किया। पेशख्वानी में शायर अतहर बनारसी ने सुनाया-करते रहेंगे मातमे शब्बीर हर घड़ी, जबतक बदन से रूह निकाली न जाएगी, तू वार क्या सम्भालेगा ऐ हुरमुला मेरा, तुझसे एक मुस्कुराहट भी सम्भाली न जाएगी..इनके अलावा मातमदार बनारसी ने भी पेशख्वानी की। लोगों को धन्यवाद आरिफ हुसैन ने दिया।
चेहल्लुम की मजलिस में मातम
दरगाह फातमान में ही मरहूम आजम इकबाल के चेहल्लुम की मजलिस में जमकर मातम किया गया। खिताब करते हुए मौलाना रईस अहमद (दिल्ली) ने कहा कि जिनकी पैदाइश होती है एक न एक दिन दुनिया से जाना पड़ता है। कहा कि कुछ मरहूम लोगों को उनकी अच्छाइयों की खातिर याद किया जाता है। कासिम अली जानी ने सोजख्वानी की। अतहर बनारसी व ऐनी ने पेशख्वानी की। अंजुमन हैदरी ने नौहाख्वानी की। बाद में तबर्रुक तक्सीम किया गया। दरगाह फातमान के मुतवल्ली शफक रिजवी ने लोगों को धन्यवाद दिया।