उड़ा 'बड़का' जहाज काशी से काबा
वाराणसी : लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से सऊदी एयरलाइंस से आये 'बड़के' जहाज ने सोमवार की अर्धरात्रि के बाद काबा की उड़ान भरी। बाबतपुर एयरपोर्ट पर पहली बार 350 सीट वाला विशाल हवाई जहाज उतरा। इसके पूर्व हजयात्रियों को लेकर लक्जरी बस 8.05 बजे रात को एयरपोर्ट पहुंचना प्रारंभ हो गई थी। एक के बाद एक 6 बसों से हजयात्री एयरपोर्ट पहुंचे। वहां पर रात एशा की नमाज पढ़ी गई। 300 हजयात्रियों में सबसे अधिक वाराणसी के 125 हजयात्री हैं। गाजीपुर के 106, इलाहाबाद के 66 व आजमगढ़ के 3 हजयात्री रवाना हुए। इसमें 152 पुरुष व 148 महिलाएं शामिल हैं।
एयरपोर्ट पर निर्यातक हाजी एजाज अंसारी व हाजी इजहार आलम की ओर से स्वागत की व्यवस्था थी। एयरपोर्ट पर हजयात्रियों की खिदमत करने वालो में मौलाना रेयाज अहमद कादरी, डा.अकबर अली, नौशाद खां, डा.मोहम्मद अमीन, अदनान खां, रेयाज अहमद राजू, हाजी अब्दुल सलाम मुंशी, हाजी तारिक हसन बब्लू, दिलशाद दिल्लू, इमरान अहमद, कमाल अहमद कमालू, आगा कमाल, शेख मोहम्मद खुर्शीद, हाजी आजाद खां, मोहम्मद यासीन गुड्डू आदि शामिल थे।
इससे पहले मकबूल आलम रोड स्थित सांस्कृतिक संकुल में हजयात्रियों को पोसपोर्ट व वीजा दिया गया। सुबह से ही हजयात्रियों के आगमन का सिलसिला प्रारंभ हो गया था।
इसके पूर्व मकबूल आलम रोड
मकबूल आलम रोड स्थित गौतम बुद्ध ट्रेड एण्ड एक्जीविशन सेंटर से शाम 7.18 बजे पहली बस (यू.पी.65 बी.टी 4751) को उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन शकील अहमद ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। आखिरी बस रात 9.35 बजे रवाना हुई। काजी-ए-शहर मौलाना गुलाम यासीन ने सभी के लिए दुआ की।
खान-ए-काबा के दीदार की खुशी व अपनों से बिछड़ने का दिखा गम
जायरीन को एक जानिब खान-ए-काबा के दीदार की खुशी हो रही थी तो लगभग डेढ़ माह अपनों से बिछड़ने का गम दिखा। कोई अपने बेटे-बेटी से लिपट कर रो रहा था तो किसी की आंखें अपने भाई-बहन से मिलकर नम हो रही थी। कुल मिलाकर अस्थायी हज हाउस का मंजर हजयात्रियों की विदाई के वक्त गमगीन था।
बारिश में पढ़ी अस्र की नमाज
अस्थायी हज हाउस में वजूखाना के निकट बने नमाज पढ़ने के स्थान पर शाम अस्र की नमाज में लोगों ने बारिश की बौछार के बीच नमाज अदा की। बाद में मगरिब व एशा की नमाज जमाअत के साथ भवन के मुख्य हाल में अदा की गई।
व्हील चेयर से हुईं रवाना
पैदल चलने की मजबूरी भी हज के सफर पर जाने से रोक न सकी। करेली इलाहाबाद की 52 वर्षीया महरूबेगम व्हील चेयर के सहारे बस पर सवार हुईं। उनके साथ पति महमूद हसन भी गए हैं। बातचीत में बताया कि जिनको अल्लाह तआला अपने दरबार में बुलाता है वही जा सकता है।
तिरंगे से होगी भारतीयों की पहचान
भारत की आन-बान-शान वाले तिरंगे से भारतीयों की पहचान होगी। प्रत्येक हज यात्री के बैग पर तिरंगा बना है। गले में लटका हुआ आईडी प्रुफ में भी तिरंगा ही है। मदीना मुनव्वरा व मक्का मुअज्जमा में तिरंगे से ही भारतीयों को पहचाना जाएगा।
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जो पहली बार गए हज पर
मुकद्दस सफर पर तीन सौ लोग हज करने रवाना हुए। उनमें से कुछ हजयात्रियों से बात की गई। सभी को इस बात की खुशी है कि उनको खुदा का दरबार देखने का मौका मिल रहा है।
बचपन से हज करने की थी हसरत
जब से होश सम्भाला तभी से हज करने की हसरत थी। अल्लाह ने 38 वें वर्ष में दिल की हसरत पूरी कर दी। इंशाअल्लाह हज करने के बाद बाकी की जिंदगी में काफी बदलाव आ जाएगा।
तफसीर हसन मदनपुरा वाराणसी
आखिरकार दुआ हुई कुबूल
हमने हमेशा अल्लाह तआला से हज का फर्ज अदा करने की दुआ की थी। मालिक ने आखिरकार दुआ कुबूल कर ली। वहां पहुंचकर पूरे मुल्क में एकता व भाईचारगी की दुआ करेंगे।
मोहम्मद समर खां, नवाबगंज वाराणसी
बच्चे अल्लाह के हवाले
जिस दरबार में हम पति पत्नी हाजिरी देने जा रहे हैं उसी के हवाले हमलोग अपने बच्चों को करके जा रहे हैं। अल्लाह तआला के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। वैसे हमारे करीबी रिश्तेदार अल्लाह की मर्जी से बच्चों की देखभाल करेंगे।
मोहम्मद शमीम खां, गाजीपुर
पत्नी के साथ थी हज की तमन्ना
9 वर्ष पहले हमलोगों का विवाह हुआ है। शादी से बहुत पहले ही हमने सोचा था कि हज करने अकेले नहीं बल्कि पत्नी के साथ जाएंगे। अल्लाह ने दिल की बात सुनकर अपने दरबार में बुलाया है।
असद अली रवीन्द्रपुरी वाराणसी
शौहर के साथ सफर होगा आसान
हज के मुकद्दस सफर में शौहर का साथ होगा। इस दौरान सफर काफी आसान लगेगा। पिछले 9 वर्ष में हमलोग एक दूसरे का मिजाज अच्छी तरह समझ चुके हैं। बच्चों को छोड़कर जा रहे हैं। इंशाअल्लाह अगली बार बच्चों को हज पर ले जाएंगे।
तहसीन जहरा रवीन्द्रपुरी वाराणसी।
कक्षा 4 का छात्र हज को हुआ रवाना
हमको मालूम है कि हज का फर्ज हमारे ऊपर नहीं है। फिर भी जिंदगी में एक हसरत होती है कि हज कर लें। माता-पिता के साथ हज के सफर पर जाना बहुत अच्छा लग रहा है। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल से 45 दिन की छुंट्टी मिल गई।
रेहान शाहिद (9) मदनपुरा वाराणसी
80 वर्ष बाद दुआ हुई कुबूल
जब मैं पांच वर्ष का था तभी से किसी को देखता कि हज करने जा रहे हैं तो दिल में हसरत थी कि हम भी कभी हज करने जाएंगे। अल्लाह ने 80 वर्ष बाद दुआ कुबूल की। अब इस उम्र में हज करने के लिए अल्लाह ने अपने दरबार में बुलाया है। मोहम्मद जहीर खां दिलदार नगर ग्राम रसहां शरीफ गाजीपुर
दूसरे जत्थे में भी सबसे अधिक स्थानीय हजयात्री रहेंगे
मदीना मुनव्वरा के लिए मंगलवार को सबसे अधिक हजयात्री स्थानीय होंगे। इनमें वाराणसी 292, इलाहाबाद 4, बलिया 2, भदोही के 2 हजयात्री शामिल हैं।