दिमाग को स्वस्थ बनाएं रोगी नहीं
वाराणसी : विश्व फेडरेशन न्यूरोलॉजी की ओर से घोषित पहले विश्व दिमाग दिवस पर देश का पहला कार्यक्रम बीएचयू स्थित न्यूरोलाजी विभाग में 'ब्रेन अवेयरनेस प्रोग्राम' आयोजित हुआ। इस अवसर पर न्यूरो साइंस के विशेषज्ञ प्रो. एमके ठाकुर ने कहा कि हमारे देश के वैज्ञानिकों को विदेश आधारित शोध करने के बजाय मौलिकता पर ध्यान देना चाहिए। कहा कि हम बिना सोचे विदेशी दवाओं को अपनाते हैं। यहां के मानसिक वातावरण के मुताबिक ही मरीजों को दवाएं देनी चाहिए।
इस अवसर पर मेडिसीन संकाय के डीन प्रो. आरके गोयल ने कहा कि हम गरदन के नीचे के हिस्सों में होने वाली बीमारियों पर बेहद चिंतित होते हैं लेकिन सिरदर्द होने पर पेन किलर लेकर काम चला लेते हैं। कहा कि दिमाग सबसे अंतिम में मरता है। इसीलिए हम चिकित्सकों को दिमागी रोगों के बजाय दिमागी स्वास्थ्य के बारे में सोचना होगा। कार्यक्रम में प्रो. दीपिका जोशी ने दिमागी रोगों के प्रति फैली भ्रांतियों के बारे में बताया। प्रो. एनके अग्रवाल ने कहा कि दिमाग को दुरुस्त रखने के लिए जागरुकता बेहद जरूरी है।
सिग्नलदाता : विभागाध्यक्ष प्रो. वीएन मिश्र ने कहा कि दिमाग पूरे शरीर का सिग्नलदाता होता है। यहीं से हमें खाने-पीने, हंसने-रोने, बोलने सहित हर काम का आदेश मिलता है। सारी संवेदनाएं भी इसी दिमाग की देन हैं। कहा कि दिमाग को शांत व स्थिर रखना बेहद जरूरी है। इस अवसर पर डा. आरएन चौरसिया, डा. अरुण, डा. विजय, डा. अरुण आदि ने भी विचार व्यक्त किए।