गंगा की बात करने वाले को मिलेगी सत्ता
वाराणसी : गंगा मुक्ति मोर्चा की ओर से यह साफ किया गया है कि 'जो गंगा की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा।' कारण कि गंगा देश की जीवन धारा हैं। देश की सभी प्रमुख पार्टियों ने घोषणा पत्र जारी तो कर दिया लेकिन किसी ने भी गंगा को प्रमुखता नहीं दी।
इस संबंध में शनिवार को रोहित नगर स्थित गंगाग्राम में गोष्ठी का आयोजन हुआ। अध्यक्षता कर रहे प्रो. हृदय रंजन शर्मा ने कहा कि गंगा गतिशीलता का दूसरा नाम है। इसलिए उनके वेग में कमी नहीं आनी चाहिए। नदी विज्ञानी प्रो. यूके चौधरी ने कहा कि संपूर्ण पर्यावरण के केंद्र में गंगा हैं। उत्तर भारत की सभी नदियां गंगा में मिलती हैं। कहा कि भीमकौड़ा, नरौरा, फरक्का, वैराज व टिहरी बांध की रचना करना ही गलत निर्णय था। उन्होंने माइक्रोडैम की अवधारणा को बताया। कहा कि इससे 18 हजार मेगावाट बिजली आराम से बनाई जा सकती है।
कार्यक्रम में डा. राममूर्ति चतुर्वेदी, सावित्री पांडेय, शारदा शर्मा, डा. आशीष त्रिपाठी आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन डा. आरएस दुबे व धन्यवाद ज्ञापन आत्माराम दुबे ने किया। कार्यक्रम के दौरान संस्था की अध्यक्ष डा. कमला पांडेय ने गंगा जागरुकता पोस्टर का लोकार्पण किया।