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11 कालेजों को मिलेगा नोटिस

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 10:55 PM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 10:55 PM (IST)
11 कालेजों को मिलेगा नोटिस

वाराणसी : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन ने सामूहिक नकल के आरोपी 11 संबद्ध कालेजों को नोटिस देने का निर्णय लिया है। इन कालेजों को अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिनों का मौका दिया जाएगा। कालेजों का पक्ष सुनने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

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विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षा में अब तक उड़ाका दल के सदस्यों ने वाराणसी में एक, चंदौली में तीन, मीरजापुर में दो, बलिया में पांच परीक्षा केंद्रों पर सामूहिक नकल की रिपोर्ट दी है। उड़ाका दल ने अपनी रिपोर्ट में विभिन्न केंद्रों पर कक्ष निरीक्षक द्वारा परीक्षार्थियों को नकल सामग्री उपलब्ध कराने, बोलकर नकल कराने की भी बात कही है।

कुलपति डा. पृथ्वीश नाग की अध्यक्षता में गुरुवार को परीक्षा समिति की बैठक में उड़ाका दल की रिपोर्ट की प्रस्तुत किया गया। इसमें सामूहिक नकल कालेजों से पहले स्पष्टीकरण लेने की सहमति बनी। दूसरी ओर समिति ने विभिन्न विषयों के 27 शोधार्थियों को अस्थायी शोध उपाधि देने की संस्तुति कर दी। इन शोधार्थियों को आगामी दीक्षांत समारोह में स्थायी उपाधि प्रदान की जाएगी। बैठक में कुलसचिव डा. एसएल मौर्य व उप कुलसचिव शमीम अहमद अहमद खां सहित अन्य संकायाध्यक्ष सदस्य उपस्थित थे।

बनाए गए मौखिक परीक्षा केंद्र

मौखिक परीक्षा के लिए छह जनपदों में एक-एक केंद्र बनाया गया है। इनमें वाराणसी स्थित विद्यापीठ परिसर, चंदौली का लाल बहादुर शास्त्री पीजी कालेज- मुगलसराय, भदोही का काशी नरेश राजकीय कालेज-ज्ञानपुर, मीरजापुर का जीडी बिनानी पीजी कालेज, सोनभद्र का एनटीपीसी परिसर व बलिया का मुरली मनोहर टाउन पीजी कालेज शामिल किए गए हैं। इन केंद्रों पर व्यक्तिगत परीक्षार्थियों के अलावा छूटे हुए संस्थागत परीक्षार्थी भी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।

पुन: होगी कोर्स वर्क की परीक्षा

मनोविज्ञान के प्री-कोर्स वर्क की परीक्षा में 23 में से अनुत्तीर्ण 19 छात्रों की उत्तरपुस्तिकाओं को देखने के बाद परीक्षा समिति ने पुन: परीक्षा कराने की स्वीकृति दी है।

इनसेट..

उड़ाका दल के औचित्य पर सवाल

इस बार उड़ाका दल के सदस्यों को स्पष्ट रिपोर्ट देने को कहा गया था। इस क्रम में उड़ाका दल के सदस्यों ने 11 कालेजों में सामूहिक नकल होने की स्पष्ट रिपोर्ट दी है। बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन कार्रवाई करने के स्थान पर उन्हें नोटिस देने का निर्णय लिया है।


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