परिषदीय स्कूलों का अंधेरा होगा 'उजागर'
जागरण संवाददाता, उन्नाव : व्यवस्थाओं के नाम पर परिषदीय स्कूलों में बजट के बंदरबांट का खेल सामने होगा
जागरण संवाददाता, उन्नाव : व्यवस्थाओं के नाम पर परिषदीय स्कूलों में बजट के बंदरबांट का खेल सामने होगा। स्कूलों की वास्तविक तस्वीर शासन को बतानी होगी। क्या बदलाव हुए? इसका जवाब सत्यापन करके बीएसए को देना होगा। शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने विद्युतीकरण, गैर-विद्युतीकरण और आंशिक विद्युतीकरण स्कूलों का ब्योरा मांगा है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत शासन की मंशा बच्चों को बेहतर सुविधाओं के बीच शिक्षा प्राप्त कराने की है। इसके लिए करोड़ों का बजट प्रति वर्ष व्यय होता है। लेकिन, इसका लाभ परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नहीं मिल पाता है। जिले में कुछ एक स्कूलों को छोड़ दिया जाए, तो बाकी की सूरत बदहाल है। बच्चे जिस कक्षा में पढ़ रहे होते हैं, वहां लगा पंखा चलता नहीं है। विद्युत तार हैं लेकिन उसमें करंट नहीं दौड़ रहा होता है। ऐसा नहीं कि इस दुविधा को दूर करने के लिए शासन ने कोई कसर छोड़ी हो लेकिन स्थानीय स्तर पर खेत होता रहा है। सच सामने आता तो 'इधर-उधर' कसरत कर जांच की फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। जैसा कि विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। यहां करीब 2300 परिषदीय स्कूलों को मतदेय स्थलों के लिए चिन्हित किया गया था। जहां कहीं लाइट नहीं थी, वह विद्युतीकरण के लिए बजट पास हुआ। काम हुआ कि नहीं? इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। चुनाव खत्म होते ही सब भुला दिया गया। चुनाव के समय होने वाले कार्यों का हिसाब अब लेना शुरू किया गया है। परिषदीय स्कूलों की रिपोर्ट मांगे जाने के पीछे शासन की मंशा ये पता लगाने की है कि स्कूलों में बच्चों को क्या सुविधाएं मिल रही हैं, या फिर सब पुराने जैसा ही है। शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने स्कूलों के मौजूदा हालात की रिपोर्ट देने को कहा है, मसलन स्कूल में बिजली है या नहीं। बिजली होने के बाद भी कमरों में रोशनी है या नहीं।
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'शासन से मिले आदेश मिलने के बाद सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को जल्द से जल्द स्कूलों की मौजूदा हालात की रिपोर्ट मांगी गई है।'
- दीवान ¨सह यादव, बीएसए