लुटेरों पर निगाह, चौकीदारों पर मेहरबानी
जागरण संवाददाता, उन्नाव: कहते हैं ऊंट की चोरी निहुरे निहुरे संभव नहीं होती। बुजुर्गों के मुंह से सुन
जागरण संवाददाता, उन्नाव: कहते हैं ऊंट की चोरी निहुरे निहुरे संभव नहीं होती। बुजुर्गों के मुंह से सुनी गई यह कहावत जिले में चल रहे खनन पर सटीक बैठती है। काफी समय से चल रहे इस खेल पर प्रशासन की चुप्पी ऐसी ही कहावत को बदल देती है। कुछ वक्त में खुलेआम पोकलैंड, जेसीबी मशीन जहां खदानों पर मिट्टी की परतें खोदती रहीं, वहीं उससे भरे डंपर, ट्रालियां सड़कों पर दौड़ती रहीं। इसके बाद भी उनका कुछ पता न लगना, कार्रवाई का दंभ भरने वाले जिम्मेदारों की मंशा पर सवाल खड़ा करने के लिए काफी है।
लगभग रोज खनन माफिया विभाग को लाखों के रायॅल्टी का चुना लगाते आ रहे हैं। पिछले शासन काल में तो लूट का कारोबार खुलेआम खेला गया और बिना किसी की अनुमति के लूट का कारोबार किया गया। इससे मशीनों से खोदी गई मिट्टी का मोल सरकार के खजाने में जमा न कर राजस्व लूट लिया गया। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद खनन पर शुरू हुई सरकार की नजर के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ियां खदान के आसपास दौड़ तो लगा रही हैं लेकिन जांच दल को फिलहाल कोई खनन मिल नहीं रहा है। मिले भी कैसे जांच दिन के उजाले में हो रही है और रात के अंधेरे में खनन। बेतरतीबी से हुए खनन की गवाही दे रही खदाने और और वहां तक पहुंचने के लिए तैयार किये गए रास्तों पर नजर आ रहे वाहनों के पहियों के ताजे निशान को यह जांच दल देखकर भी नजरंदाज कर रहा है। सूत्रों की मानें तो जांच दल में ही कई ऐसे चेहरे हैं जो कहीं न कहीं इन अवैध खदानों के संचालन को लेकर दोषी की कतार में खड़े हैं। खुद को बचाने के चक्कर में यह दस्ता करोड़ों का चूना लगाने वाले खनन माफिया को अभय दान देने के प्रयास में लगे हैं। हालांकि डीएम अदिति ¨सह कहती हैं कि सभी एसडीएम और तहसीलदार को निर्देश दिये गए हैं कि सभी लोग अपने अपने क्षेत्रों में नजर रखें और खनन प्रभावित क्षेत्रों को चिह्नित करें। अगर कहीं से भी किसी पक्षपात की शिकायत मिलती है या फिर खनन होता पाया जाता है उसके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी।