अब मुफ्त में नहीं होगी 'मेहरबानी'
जागरण संवाददाता, उन्नाव : सड़क पर वाहन चलाना अब महंगा ही नहीं कठिन हो गया है। परिवहन विभाग ने मुफ्त क
जागरण संवाददाता, उन्नाव : सड़क पर वाहन चलाना अब महंगा ही नहीं कठिन हो गया है। परिवहन विभाग ने मुफ्त की मेहरबानी पर पाबंदी लगा दी है। ड्राइ¨वग लाइसेंस के लिए हो रहे ऑनलाइन टेस्ट में फेल हुए तो लोगों को जेब ढीली करनी होगी। विभाग की ओर से शुल्क बढ़ोत्तरी के फैसले के साथ ही ऑनलाइन लाइसेंस टेस्ट की प्रकिया में भी कड़ा रुख अख्तियार किया गया है। अब लोगों को दोबारा टेस्ट देने पर हर बार 50 रुपये अतिरिक्त शुल्क अदा करना पड़ेगा। यानी जितनी बार फेल उतनी बार चार्ज। फीस बढ़ोत्तरी का लिया गया निर्णय लोगों के लिए टेंशन भरा जरूर है पर अब बिचौलियों को इसका लाभ मिलना बंद हो गया है।
अभी तक लर्निंग और परमानेंट लाइसेंस फीस के लिए लोगों की लोगों को सोचना नहीं पड़ता था। परिवहन विभाग की ओर से अचानक चार गुना फीस वृद्धि के लिए गए निर्णय बाद एआरटीओ कार्यालय में सुबह से ही लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है। टेस्ट दिए बिना लाइसेंसधारक बनना भी संभव नहीं है। इसलिए हर एक को टेस्ट प्रकिया से होकर ही गुजरना पड़ रहा है। अभी तक टेस्ट में फेल होने पर कोई शुल्क नहीं पड़ता था। लेकिन शासन की नए नियम के तहत अब रीटेस्ट पर हर बार 50 रुपये अतरिक्त शुल्क जमा करना करना पड़ेगा। इसके साथ ही 60 रुपये में बनने वाला लर्निंग लाइसेंस अब 300 रुपये में, स्थायी में 300 की जगह 1000 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है। इसी तरह फिटनेस, हैवी लाइसेंस समेत अन्य कार्यों के शुल्क भी बढ़ोत्तरी हुई है। जेब में बोझ बढ़ता देख लोगों ने ऑनलाइन या फिर खुद एआरटीओ कार्यालय जाकर काम कराना शुरू कर दिया है। हालांकि सबसे अधिक झटका बिचौलियों को लगा है। शुल्क वृद्धि के बाद लोगों ने बिचौलियों से संपर्क तोड़ते हुए खुद अपने कार्य को अंजाम देना शुरू किया है। जिसके चलते एआरटीओ कार्यालय में सुबह से भीड़ लगती दिख रही है।
इस संबंध में एआरटीओ प्रशासन माला बाजपेई ने बताया कि लाइसेंस फीस पूरी तरह से ऑनलाइन कर दी गई है। कार्यालय में जमा किया जा रहा रीटेस्ट शुल्क भी जल्द ही ऑनलाइन कर दिया जाएगा।