'भगवान' ने बेचा ईमान खतरे में बच्चे की जान
उन्नाव, जागरण संवाददाता : धरती के भगवान कहे जाने वाले जिला अस्पताल के एक डॉक्टर ने पांच हजार रुपया प
उन्नाव, जागरण संवाददाता : धरती के भगवान कहे जाने वाले जिला अस्पताल के एक डॉक्टर ने पांच हजार रुपया पेशगी लेकर पांच वर्षीय एक बच्चे का पथरी का आपरेशन किया और जब बाद में बकाया नहीं मिला तो हाथ लगाने से मना कर दिया। दो दिन बच्चा दर्द से छटपटाता रहा बाप डॉक्टर से इलाज के लिए गिड़गिड़ाता रहा पर डॉक्टर ने मानवीय संवेदनाओं को ताख पर बच्चे को देखना गंवारा नहीं किया। हालत गंभीर देख ईएमओ ने हैलट रेफर कर दिया। जहां से लखनऊ रेफर किया गया दो दिन तक भटकने के बाद बेटे की जान बचाने को पिता ने उसे जिला अस्पताल के सामने एक नर्सिंगहोम में भर्ती कराया। जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। हालांकि रुपया न मिलने से इलाज न कर भगाने के आरोप को सर्जन ने फर्जी करार दिया है।
थाना अचलगंज के गांव हुलासखेड़ा निवासी वीरेंद्र के पांच वर्षीय बेटे अभिषेक के पेट में तेज दर्द शुरू हुआ। पेशाब बंद होने पर वह उसे लेकर 29 नवंबर को जिला अस्पताल आया जहां सर्जन को दिखाया। सर्जन ने जांच कराई जिसमें उसके पेशाब की थैली में पथरी होने की पुष्टि हुई इस पर डॉक्टर ने आपरेशन कराने की सलाह दी। वीरेंद्र का आरोप है सरकारी अस्पताल के सर्जन डॉ. प्रशांत मिश्र ने नि:शुल्क उपचार के सरकारी दावे की धज्जियां उड़ाते हुए आपरेशन की दस हजार रुपये फीस बताई। इस पर हामी भर दी दूसरे दिन 30 नवंबर को मासूम अभिषेक को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां सर्जन को पांच हजार रुपया दे दिया और शेष पैसा परिजनों के आने पर देने की बात कही। इस पर सर्जन ने उसी दिन बच्चे का आपरेशन कर दिया। दूसरे दिन डॉक्टर ने बकाया के पांच हजार रुपये मांगे तो पिता ने बंदोबस्त न हो पाना बताया। इसके बाद डॉक्टर ने बच्चे को हाथ लगाने से इंकार कर दिया। 2 नवंबर को बच्चे की हालत बिगड़ने लगी आपरेशन के बाद भी उसे पेशाब व लैट्रीन नहीं हुई वह दर्द से कराहने लगा। पिता डॉक्टर के पास पहुंचा और और गरीबी का वास्ता देकर गिड़गिड़ाता रहा पर सर्जन नहीं पसीजे। बच्चे को देखना तक गंवारा नहीं किया। रात में हालत बिगड़ती देख ईएमओ ड्यूटी पर रहे डॉक्टर ने सर्जन को काल कराया लेकिन वह हैलट रेफर करने की बात कह देखने नहीं आए। ईएमओ ने उसे हैलट रेफर कर दिया। वीरेंद्र गंभीर हालत में बेटे को लेकर हैलट कानपुर पहुंचा। वहां डॉक्टर ने केश खराब कराके आए हो कहकर भर्ती करने से मना कर दिया। चिरौरी करने पर भर्ती तो कर लिया लेकिन इलाज नहीं शुरू किया। दूसरे दिन 3 नवंबर को सुबह हैलट से उसे लखनऊ मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। वह बच्चे को कानपुर से लेकर पुन: जिला अस्पताल आया जहां उसे भर्ती कर लिया गया लेकिन सर्जन ने देखने से मना कर दिया इससे मजबूर बाप जान बचाने के लिए दर्द से तड़प रहे बेटे को जिला अस्पताल के सामने स्थित एक नर्सिंगहोम में भर्ती कराया जहां उसकी हालत गंभीर बनी है।
मामला संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा है तो जांच करा आपरेशन करने वाले सर्जन से जवाब तलब करके विभागीय कार्रवाई कराई जाएगी। इलाज के नाम पर पैसा मांगने वाले डॉक्टर किसी भी हालत में छोड़ा नहीं जाएगा। - डॉ. एसपी चौधरी, सीएमएस, जिला चिकित्सालय
आपरेशन के लिए पैसा लेने का आरोप निराधार है। जब वह हैलट से वापस आया तो मैने अपने एक परिचित डॉक्टर को फोन कर मदद करने को कहकर दूसरी बार हैलट भेजा था। जहां उसे भर्ती कर लिया गया था। लेकिन परिजनों वहां से भी उसे लेकर चले आए अब मैं क्या कह सकता हूं। आपरेशन करने के बाद तो कोई इस तरह का आरोप लगा सकता है। - डॉ. प्रशांत मिश्र, सर्जन।