डॉक्टर का मिलना बन गया सीएमएस के गले की फांस
उन्नाव, जागरण संवाददाता : दुष्कर्म पीड़ित किशोरी की नवजात बच्ची की उपचार न मिलने से हुई मौत का मामला
उन्नाव, जागरण संवाददाता : दुष्कर्म पीड़ित किशोरी की नवजात बच्ची की उपचार न मिलने से हुई मौत का मामला स्वास्थ्य प्रशासन के गले की फांस बन गया। पुरवा सीएचसी से लेकर 108 एंबुलेंस तक ने अपनी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया। सिक न्यूबार्न बेबी केयर यूनिट में डाक्टर का न मिलना स्वास्थ्य प्रशासन के गले की फांस बन गया है।
पुरवा कोतवाली क्षेत्र की दुष्कर्म पीड़ित किशोरी की दो दिन पूर्व रात में पुरवा अस्पताल में प्री डिलीवरी हुई। बच्चे की हालत खराब होने पर उसे 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेजा गया। मां की माने तो बच्चे को न पुरवा अस्पताल में प्राथमिक इलाज मिला और न ही रास्ते में एंबुलेंस में ही। बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि कम दिनों के बच्चे बहुत कम बचते हैं लेकिन उन्हे बचाने के लिए प्राथमिक इलाज कर प्रयास किया जाए तो कुछ बच जाते हैं। लापरवाही यहीं नहीं थमी नियमत: एंबुलेंस के ईएमटी का कर्तव्य है वह रोगी को संबंधित विभाग तक पहुंचा डाक्टर से रिसी¨वग ले। एंबुलेंस के ईएमटी ने एसएनसीयू में बच्चे को रिसीव भी नहीं कराया और छोड़ कर चला गया।
एसएनसीयू में 24 घंटा सेवा देने के लिए पूर्व में आदेश हुआ था कि एक डाक्टर दिन में दो बजे तक रहे और दूसरा डाक्टर रात आठ से सुबह आठ तक ड्यूटी करे। लेकिन आदेश का भी पालन नहीं किया गया। इससे रात में डाक्टर नहीं मिलते हैं। प्रसव कक्ष की ईएमओ जो बच्चे अपनी देखरेख में भर्ती कराती हैं वहीं भर्ती कर उपचारित किए जाते हैं। मंगलवार को डीएम सुरेंद्र ¨सह जिला चिकित्सालय का निरीक्षण कर रहे थे इस बीच बच्चे की मौत का मामला उठने पर उन्होंने सीएमओ डॉ. बीएन श्रीवास्तव की मौजूदगी में महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. सरोज श्रीवास्तव से सीधा सवाल किया आदेश के बाद भी रात ड्यूटी के लिए डाक्टर की तैनाती क्यों नहीं की इस सवाल का वह कोई जवाब नहीं दे पायी। डीएम ने कहा नगर मजिस्ट्रेट जांच करेंगे उनको जवाब देना। जिस किसी की गलती होगी वह सजा पाएगा। अब रोस्टर बनाकर रात में एक डाक्टर को ड्यूटी पर लगाए।