मासूम को डूबता देख, जान पर खेला
पुरवा, संवाद सहयोगी : मासूम हंसे तो पत्थर दिल भी मुस्कराने लगते हैं फिर उसे संकट में देख भला कोई कैस
पुरवा, संवाद सहयोगी : मासूम हंसे तो पत्थर दिल भी मुस्कराने लगते हैं फिर उसे संकट में देख भला कोई कैसे अपने को मदद से रोक सकता है। पर जान पर खेल कर भी मदद को दौड़ने वाले बिरले ही होते हैं। तहसील क्षेत्र के अहेसा में ऐसा ही कुछ हुआ। मासूम बच्ची खेलते-खेलते घर के पास के तालाब किनारे पहुंची और फिसलने से पानी में डूबने लगी। मासूम को डूबता देख उधर से गुजर रहा युवक तैरना न जानते हुए भी मासूम को बचाने कूद पड़ा। मासूम के साथ युवक भी डूबने लगा। शोर सुन दौड़े गांव वालों में चार युवकों ने मासूम को तो बचा लिया पर युवक की मौत हो गई। देर शाम तक गांव में पोस्टमार्टम कराया जाये या नहीं इसके लिए पंचायत चलती रही।
अहेसा गांव के रंजीत ¨सह के मकान के पड़ोस में तालाब है। बारिश के बाद से वह लबालब है। दोपहर में रंजीत की बेटी पायल (3) खेलते खेलते तालाब के किनारे पहुंच गई और फिसलने से पानी में डूबने लगी। बच्ची की चीख सुन उधर से गुजर रहा दुर्गा ¨सह (40) गांव वालों को आवाज देता हुआ उसको बचाने के लिए तालाब में कूद गया। दुर्गा ने बच्ची को हाथों में उठा लिया पर खुद डूबने लगा। शोर सुनकर दौड़े गांव वालों ने नजारा देखा तो उनमें से चार युवक दोनों को बचाने के लिए कूद पड़े। युवकों ने पायल को तो सकुशल बाहर निकाल लिया पर दुर्गा ¨सह डूब गया। काफी मश्क्कत के बाद युवकों ने जब तक दुर्गा को बाहर निकाला उसकी सांसे उखड़ चुकी थीं। परिजन आनन-फानन उसको लेकर सीएचसी पहुंचे, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
हर कोई साहस को कर रहा था सलाम
तैरना न जानते हुए भी मासूम को डूबता देख जान पर खेल गए दुर्गा ¨सह की गांव में हर कोई सराहना कर रहा था। दुर्गा के घर वाले ही नहीं रंजीत के परिवार वालों के भी आंसू उसकी मौत के बाद से नहीं रुक रहे। बेटी की सलामती की चर्चा होते ही रंजीत और उनकी पत्नी की आंखों से झर-झर आंसू बहने लगते। गांव की गलियों में बेकारी का जीवन काटने वाला दुर्गा आज हर किसी के लिए खास हो गया जब दुनिया में नहीं है।
दुर्गा के पिता चंद्रिका ¨सह बेटे की मौत से टूट से गए पर उसके साहस को वह भी सलाम कर रहे।