Move to Jagran APP

अब नहरें दे रहीं धोखा

पुरवा, संवाद सहयोगी: देश के अन्न दाता के लिए सुविधाओं का अकाल पड़ गया है। प्रकृति से मिली मार झेलने क

By Edited By: Published: Sat, 28 Nov 2015 06:11 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2015 06:11 PM (IST)

पुरवा, संवाद सहयोगी: देश के अन्न दाता के लिए सुविधाओं का अकाल पड़ गया है। प्रकृति से मिली मार झेलने के बाद किसान गेहूं की पलेवा के वक्त सूखी नहरें देखकर परेशान है। कुछ नहरें ऐसी भी हैं जिनमें कटीले पेड़ों के साथ खड़ी घास मुंह चिढ़ा रही है। ऐसे में सरकारी संसाधनों के भरोसे खेती कैसे होगी।

loksabha election banner

बीते दो वर्षों से ओलावृष्टि फिर सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए मौजूदा वक्त में खेती करना किसी चुनौती से कम नहीं है। खाद, बीज के बाद गेहूं की पलेवा करने के समय सूखी नहरें देखकर कृषकों के मन में पीड़ा बैठ गयी है। बीते एक सप्ताह से चालू हुई पलेवा के लिए पानी की दरकार है लेकिन अफसोस कि इस समय नहरों में पानी नहीं है। इससे निजी या किराये के संसाधनों के बूते एक बार फिर फसल तैयार कर गृहस्थी की गाड़ी खींचने की तैयारी की जा रही है। क्षेत्र में हालात से परेशान किसान अपनी जेब से धन खर्च कर फसल के लिए तैयारी कर रहा है। शारदा नहर में पानी न होने के कारण दिक्कतों से जूझकर पलेवा की जा रही है। जबकि क्षेत्र में कुछ माइनर ऐसी भी हैं जिनमें पानी आने के बाद भी सींच का फायदा नहीं मिलने वाला है। इन्हीं में से एक बनिगांव माइनर भी है। जहां कटीले पेड़, झाड़ियां और घास फूस के कारण पानी की एक बूंद भी नहीं आएगी। यहां पांच वर्ष पूर्व पानी आया था। इसके बाद भी झाड़ियां इतनी ज्यादा हो गई कि अब इस माइनर में पानी नहीं आ पाता। इस कारण सैकड़ों एकड़ भूमि पर किसान अपने बलबूते पर ही खेती करते हैं। इसी तरह से मिर्जापुर सुंभारी, रतवसिया, रामाअमरापुर, चमियानी, माइनरों में पानी के आने के बाद भी सींच का लाभ नहीं मिल पाता। जिसके कारण सैकड़ों गांवो के किसानों की प्रति वर्ष फसल प्रभावित होती है। वर्षों से चली आ रही इस गंभीर समस्या पर दर्जनों बार की गयी शिकायत का भी हल नहीं निकला। न किसी अधिकारी ने संज्ञान लिया और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान दिया। यहां तक कि किसानों के लिए हुये आंदोलनों का भी कुछ असर नहीं पड़ा है।

------------

किसानों की पीड़ा

गेहूं के पलेवा के वक्त सूखी नहरें, कृषि प्रधान देश की व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी हैं। सब किसानो के हमदर्द बनना चाहते हैं लेकिन करता कोई कुछ नही है।

- दीपक शुक्ला

इस दु‌र्व्यवस्था के लिए सरकार दोषी है। धान की फसल से बर्बाद हुए किसानों को गेहूं की फसल के लिए सिंचाई की सुविधा दिलाकर राहत पहुंचानी चाहिये तभी बात बनेगी।

- चंदन गौतम

किसानों की कोई नहीं सुनता। फसल के वक्त अक्सर नहर से पानी गायब ही रहा है। जबकि दर्जनों माइनरें ऐसी है जहां पानी न आने के कारण नहर होने का कोई मतलब नहीं रह गया।

- राजेश कुमार

सरकारी संसाधनों के फेल होने से अपने बलबूते खेती करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे ही हालात रहे तो छोटे किसान खेती करना छोड़ देगें। सरकार को इस समस्या का हल निकालना चाहिये।

-गुलशन लोधी

-------------

हरदोई बड़ी नहर से अभी पानी नहीं छोड़ा गया है। लिहाजा 6-7 दिसंबर तक पानी छूटेगा तभी नहरों में पानी आयेगा। जब तक पानी नहीं छोड़ा जाता तक तक नहरों का यही हाल होगा। जहां तक पानी कुछ माइनरों में न पहुंचने की बात है, इसे दिखवा कर समस्या दूर करवाऊंगा।

-बृजेश अग्रवाल, अधिशासी अभियंता शारदा नहर खंड


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.