पंचायत चुनाव)) सियासी ठसक के बीच सज रहे मोर्चे
उन्नाव, जागरण संवाददाता : राजनीति के सबसे छोटे लेकिन सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले पंचायत चुनाव की
उन्नाव, जागरण संवाददाता : राजनीति के सबसे छोटे लेकिन सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले पंचायत चुनाव की तैयारियां अपने शबाब पर हैं। पंचायत राज विभाग सीटों के आरक्षण को लेकर सबसे बड़ी समस्या बने पिछड़ी जाति के रैपिड सर्वे को तय समय में पूरा कराने में लगा हुआ है। उनकी इस तैयारी में यदि कोई खलल डाल रहा है तो वह हैं चुनाव लड़ने को आतुर नए नेता जी। जो पुरानी प्रधानी की चमक को देखने के बाद इस बार किसी भी तरह से सीट पर अपना कब्जा जमाने की ठान चुके हैं। ऐसे ही कुछ उदाहरण भी डीपीआरओ कार्यालय में देखने को मिले। इसपर एक नजर-
²श्य एक : स्थान डीपीआरओ कार्यालय का वरिष्ठ लिपिक कक्ष, समय लगभग साढ़े 12 बजे। सफेद माड़ी दार कपड़ों के साथ एक नौजवान आपने तीन अघोषित सुरक्षा कर्मियों के साथ पहुंचे। वरिष्ठ लिपिक से परिचय करने के साथ ही कुछ इधर उधर की बातें की और फिर सीधे मुद्दे पर आकर उनके कान में कुछ कहा। सुनते ही लिपिक बोला, अरे अभी कुछ नहीं है। पहले सर्वे का काम तो पूरा हो। फिर पता चलेगा कि कि सीट का क्या होगा। यह सुनने के बाद नेता जी ने कुछ देखे रहना है जैसी बाते की और चले गए।
²श्य दो : डीपीआरओ कार्यालय के बाहर भोजनावकाश के समय निकले लिपिक के साथ कुछ धनाड्य ग्रामीण उनकी हां में हां मिलाते हुए ग्राम पंचायत की सीटों के आरक्षण का पता कराने के लिए तरह तरह के सवाल कर रहे थे। उनका कहना था कि कुछ तो जुगाड़ करो। भइया तीन साल से गांव में काम कर रहे हैं। अब की नहीं चूकना है, कुछ भी करो कैसे भी करो। चुनाव तो लड़ना ही है। तभी साथ मौजूद लोगों ने उनकी तैयारी को यह कहते हुए काफूर कर दिया कि पता नहीं सीट का आरक्षण तुम्हारे हिसाब से नहीं हुआ तो क्या करोगे।
कार्यालय के लिपिक की माने तो यह बानगी भर है हकीकत तो यह है कि आरक्षण का पता लगाने वाले पूरे दिन कार्यालय के चक्कर काटते रहते हैं और तरह तरह की अफवाहों को भी जन्म देते हैं। इतना ही नहीं कुछ लोग तो यह तक कहते हैं कि हमारी ग्राम पंचायत का पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हो गई तो कोई महिला के लिए या फिर कोई दूसरी।
चक्रानुक्रम पर हुआ था आरक्षण
पिछले पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायतों का आरक्षण चक्रानुक्रम से तय हुआ था। पिछले पंचायत चुनाव में जनपद की 954 ग्राम पंचायतों 477 ग्राम पंचायतें सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित थी जबकि 210 अनुसूचित जाति के लिए और 267 सीटे पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित रहा। इसमें भी 33 प्रतिशत सीटें वर्गवार महिलाओं को आरक्षित की गई थी।
90 नई ग्राम पंचायतों का प्रतिनिधित्व पाने की होड़
जिले में अब तक रही 954 ग्राम पंचायतों में वर्ष 2011 की जनगणना के बाद 90 सीटों की वृद्धि हुई है और अब सीटें बढ़कर 1044 हो गई हैं। इन सीटों नवगठित सीटों पर चुनाव लड़ने वालों की होड़ लगी है।
आरक्षण के लिए भी रेट हो रहे तय
सीटों का आरक्षण भले ही तय न हुआ हो। दावेदारों की व्याकुलता को देखते हुए उनके कथित हमदर्दो ने जरूर रेट तय कर लिए। हालत यह है कि मनमाफिक आरक्षण के लिए 50 हजार से एक लाख या फिर उससे की वसूली हो रही है। प्रतिद्वंदियों के आधार पर दाम कम ज्यादा भी हो रहे हैं।
2010 में सीटों की स्थिति
ग्राम पंचायतें - 954
ग्राम पंचायतों के वार्ड- 11772
क्षेत्र पंचायत- 1150
जिला पंचायत- 46
2015 के लिए सीटों की स्थित
ग्राम पंचायतें- 1044
ग्राम पंचायतों के वार्ड- 12958
क्षेत्र पंचायत- 1319
जिला पंचायत- 53
''अभी आरक्षण की प्रक्रिया पर कुछ भी स्पष्ट नहीं है। पिछड़ी जाति का रैपिड सर्वे होने के बाद भी कुछ स्पष्ट होगा। 15 जुलाई तक तो सर्वें का काम पूरा करने की अंतिम तारीख तय है। उसके बाद शासनादेश के अनुसार आगे का काम किया जाएगा। बाकी की तैयारियां पूरी हैं।''
- रामकेवल सरोज, डीपीआरओ।