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कंकाल मामले में विशेषज्ञों की जांच जारी, लगेगा अभी और समय

उन्नाव, जागरण संवाददाता: पुलिस लाइन अस्पताल में बने बिसरा कक्ष में मिले नर मुंड व अस्थितयों के मामले

By Edited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 09:36 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 09:36 PM (IST)

उन्नाव, जागरण संवाददाता: पुलिस लाइन अस्पताल में बने बिसरा कक्ष में मिले नर मुंड व अस्थितयों के मामले को लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ है। देर शाम तक कक्ष में बोरियों में बंद अस्थितयों की जांच के लिए लखनऊ से आयी फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम देर शाम शाम तक उनकी जांच में लगी हुई थी। इस बीच अस्पताल परिसर को कड़े सुरक्षा घेरे में करते हुए उसमें आम लोगों के प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। माना जा रहा है कि विभिन्न मामलों में विधिक कार्यवाही के तहत सुरक्षित की गई इन अस्थियों को दफनाए जाने में लापरवाही किस स्तर पर हुई। इसे लेकर लगातार उठ रहे सवालों पर जल्द ही विराम लग जाएगा। वहीं दूर शाम तक प्रशासन भी इस मामले को लेकर लगातार बैठकों के माध्यम से इस पूरे मामले को लेकर रणनीति बनाने में जुटी रही हैं।

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पुलिस लाइन अस्पताल के बिसरा कक्ष में रखी अस्थियों और नरमुंडों को लेकर गुरुवार को उठा बवंडर दूसरे दिन भी जारी रहा। इसबीच पुलिस लाइन में पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर पूरे परिसर को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया। मीडिया, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और जांच टीम से जुड़े लोगों को छोड़ कर किसी को भी उक्त क्षेत्र में प्रवेश नहीं दिया गया। सुबह से ही तहसील से लेखपाल शासन के निर्देश पर फोरेंसिक एक्सपटों की टीम के सदस्यों में डा. आशुतोष वाष्णेय, डा. कौशलेंद्र 11 बजे ही वहां पहुंच गए थे। जबकि फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री लखनऊ के डिप्टी डायरेक्टर गयासुद्दीन खान दोपहर लगभग डेढ़ बजे अस्पताल पहुंचे। जहां तीनों सदस्यों ने अनवरत रूप से कक्ष में इन अस्थियों की जांच शुरू की। देर शाम तक बोरों में बंद अस्थियों की जांच करने में लगी टीम ने देर शाम तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।

डिप्टी डायरेक्टर खान ने कहा कि जिस हिसाब से अस्थियां और नरमुंड मिले हैं उनके 15 से बीस वर्ष पूराने होने का अनुमान है। फिर भी इतनी जल्दी किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगा। इसकी विस्तृत जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सबसे पहले इन अस्थियों को बिसरा कहा जाना कतई गलत है। यह मानव अस्थियां हैं जो मुकदमों से संबंधित हैं और उन्हें सुरक्षित करके इस कक्ष में रखा गया है। इनकी जांच तब होगी जब उनसे संबंधित एफआईआर की कापी भी यहां रखी जाएगी। उन्हीं के आधार पर इन अस्थियों की जांच की जाएंगी। तभी कुछ स्पष्ट हो सकता है।

बोरों में रखी अस्थियों की गणना में लगी टीम

जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने मामले की छानबीन के लिए नगर मजिस्ट्रेट हरीलाल यादव के नेतृत्व सीओ गोपी नाथ सोनी डा. कौशलेंद्र, डा. आशुतोष व फार्मेसिस्ट रामपाल वर्मा भी बिसरा कक्ष में रखी अस्थियों और नर मुंडों की जांच के लिए जुटी रही। इस बीच टीम ने क्या पाया इसपर कुछ भी अधिकृत तौर पर नहीं कहा गया लेकिन सूत्रों की मानी जाए तो इस टीम के द्वारा कक्ष में वर्ष 1980 से 2007 के बीच के 74 अस्थियों और बिसरा रखे हुए हैं। इनमें से 47 की अभिलेखों से मिलान कर के उन्हें घटना या अपराध संख्यावार चिह्नित कर लिया गया है। जबकि शेष में कुछ पर दीमक लगने और कुछ बोरियों के खुल जाने से उनका टैग न मिलने से उनका मिला नहीं किया जा सका है।

जल्द ही आ जाएगी सच्चाई सब के सामने

कंकालों को लेकर पुलिस अधीक्षक एमपी ¨सह ने कहा कि एक्सपर्ट की टीम मामले की जांच की जा रही है। जांच टीम को आवश्यक अभिलेख भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि जांच का काम जल्द पूरा हो जाए। उम्मीद हैं कि दो तीन दिनों में इसकी सारी सच्चाई सामने आ जाए। कंकाल के बवंडर को लेकर जांच शुरू

पुलिस अस्पताल में कंकाल मिलने को लेकर उठे बवंडर के मामले में दरवाजा कैसे टूटा, बोरियां कैसे फटी इसकी जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस अधीक्षक एमपी ¨सह ने कहा कि इस पूरे मामले में गड़बड़ी को तलाशने के लिए जांच शुरू करा दी गई है। वहीं उक्त कक्ष को भी फिर से पूरी तरह से सील करने के प्रबंध किए जा रहे हैं।


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