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जपो निरंतर एक जबान, हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान

By Edited By: Published: Sun, 21 Sep 2014 09:28 PM (IST)Updated: Sun, 21 Sep 2014 09:28 PM (IST)
जपो निरंतर एक जबान, हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान

अचलगंज संवाद सूत्र: चहहु जु सांचो निज कल्यान, तो सब मिलि भारत संतान, जपो निरंतर एक जबान, हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान। यह सपना था भारतेंदु युग के साहित्यकार प. प्रताप नारायण मिश्र का। जब देश में लोगों की आम भाषा अलग अलग थी। प. मिश्र ने भारतेंदु व बालकृष्ण भट्ट के साथ मिलकर मातृ भाषा हिंदी के उत्थान का बिगुल फूंका था। उनका मानना था कि पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने की संजीवनी देने में समर्थ हैं तो केवल हमारी मातृ भाषा हिंदी।

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24 सितंबर 1856 को बैजेगांव बेथर में प. संकठा प्रसाद मिश्र के घर में जन्मे प. प्रताप नारायण मिश्र ने अपने ब्राम्हण पत्र के जरिये हिंदी का श्रृंगार किया। हिंदी साहित्य खड़ी बोली के संस्कारको में प. मिश्र का अनूठा स्थान रहा हैं जब शैशव काल में हिंदी आम बोलचाल भाषा में उपेक्षित थी। कई भाषाओें की मिश्रित टूटी-फूटी हिंदी केवल हिंदी भाषा क्षेत्रों तक ही सीमित थी। हिंदी का आग्रह लेकर ही उन्होंने 15 मार्च 1883 को ब्राम्हण पत्र निकाला और अंतिम समय तक उसका संपादन किया। उनकी कुल 50 पुस्तकें प्रकाशित हुई।

जन्म स्थली ग्राम बेंथर बैजेगांव में प. प्रताप नारायण मिश्र स्मारक समिति के तत्वावधान में प्रतिवर्ष जयंती समारोह का आयोजन होता है। समिति के मंत्री / संयोजक हरि सहाय मिश्र ने बताया कि 24 सितंबर बुधवार को प. मिश्र का 159वां जयंती समारोह मनाया जायेगा। जिलाधिकारी आयोजन का शुभारंभ करेगें। लखनऊ के नगर प्रमुख दिनेश शर्मा प्रदेश भाजपा प्रवक्ता हृदय नारायण दीक्षित, सांसद सदस्य ब्रजेश पाठक, विधायक व साहित्यकार, मनीष शामिल होंगे। रात्रि में कवि सम्मेलन होगा। यद्यपि उनके परिजनों में अब कोई यहां नही रहता हैं फिर भी बैजेगांव के मिश्र परिवार उन्हें अपना वंशज व प्रेरणा स्रोत मानता है।

कूड़ाघर बनी जन्मस्थली

पं प्रताप नारायण मिश्र की अपनी जन्म स्थली बैजेगांव बेंथर में उपेक्षित हैं उनका पैतृक आवास जमींदोज हो चुका हैं। जहां अब पूरे मोहल्ले का कूड़ा व घूरा डाला जाता है। पड़ोसियों ने धीरे धीरे आवास की खाली जमीन पर कब्जा कर रखा है। उनकी जन्म स्थली को हिंदी स्मारक केरूप में विकसित करने की मांग हिंदी प्रेमी उठाते रहे हैं। इसके लिए जयंती समारोह के दौरान घोषणायें भी हुई लेकिन हिंदी, हिंदु, हिंदुस्तान को समर्पित रहे प्रताप की जन्म स्थली की वीरानी नही दूर हो सकी।

पार्क बना पहचान

पं. प्रताप नारायण मिश्र की स्मृति में यहां पूर्व जिलाधिकारी अरुण आर्या द्वारा बनवाया गया प्रताप उपवन यहां उनकी पहचान बनकर रह गया हैं। यहां राज्यसभा सदस्य बृजेश पाठक ने वाचनाय-पुस्कालय भवन व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने प्रतिमा पर छतरी व सीसी रोड़ का निर्माण कराया है।


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