रुपये न देने पर फुलेसरा को तड़पने को छोड़ दिया
सुलतानपुर : शासन का निर्देश है कि अधिकारी व चिकित्सक समय से कुर्सियों पर बैठें, जिससे आम जनता को सहू
सुलतानपुर : शासन का निर्देश है कि अधिकारी व चिकित्सक समय से कुर्सियों पर बैठें, जिससे आम जनता को सहूलियत मिले और उनकी समस्याओं का निराकरण हो सके, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी ही दिशा-निर्देशों को पलीता लगा रहे हैं। गुरुवार सुबह 8:20 बजे जागरण की टीम सामुदायिक स्वास्थ केंद्र भदैंया पहुंची। वहां पर्ची काउंटर पर मौजूद कर्मचारी दाउद तीन मरीजों की पर्ची बना चुके थे। चिकित्सक न होने से तीनों मरीज परिसर में ही दर्द से कराहते हुए टहल रहे थे। अस्पताल में मौजूद फार्मासिस्ट भी चिकित्सक का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान 'जागरण' ने अस्पताल की हकीकत देखी तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
कुछ लौटे कुछ ने आयुष विभाग में कराया इलाज
बेलासदा के राघवराम दूबे सीने में दर्द से परेशान होकर पहुंचे। पर्चा बनवाया लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक के न आने पर मजबूरी में उन्होंने आयुष चिकित्सक अनूप श्रीवास्तव से चेकअप कराकर दवा ली। बदरूद्दीनपुर से आए रामबहादुर भी आधे घंटे तक चिकित्सक का इंतजार कर वापस लौट गए। बरूई की दीप्ति त्रिपाठी को तेज बुखार था। वह अपने भाई के साथ आई थी। वह चबूतर पर ही लेटकर कांप रही थी। लेकिन, पौने नौ बजे तक कोई चिकित्सक नहीं आया।
कक्षों मे लटकते रहे ताले, कुर्सियां भी खाली
चिकित्सा अधिकारी अमिताष मिश्रा की कुर्सी नौ बजे तक खाली पड़ी रही। डॉ. राकेश सिब्बल, डॉ. मीनू मिश्रा, डॉ. सरिता रानी, पैथोलॉजी एचईओ संगमलाल समेत बीपीओ कार्यालय में सुबह नौ बजे तक ताला लटकता मिला। केवल फार्मासिस्ट अमरनाथ व करुणा द्विवेदी ही मौजूद रहीं।
डॉक्टर व स्टाफ नर्स प्रसूताओं से वसूल रहे पैसे
प्रसव कक्ष में अव्यवस्था का अंबार दिखा। प्रसूता फुलेसरा आपबीती सुनाते हुए रोने लगी। फुलेसरा को बुधवार सुबह नौ बजे प्रसव हुआ। उससे एक हजार रुपये मांगे गए। न देने पर वह प्रसव पीड़ा से छटपटाते हुए फर्श पर गिर पड़ी। डॉ. मीनू व स्टाफ नर्स ने दाइयों को भी उसे न छूने का निर्देश देते हुए अभद्रता की। काफी जद्दोजहद के बाद उसे भर्ती किया गया। लेकिन, बेड भी नहीं दिया गया। यही हाल बीते सकवा की आरानिशा, जुडारा पुरैना की किरन, भगवानपुर की अंजू ¨सह, तेरएं की अनीता ने भी बताया।
नहीं आए थे प्रभारी, फोन भी नहीं उठाया
प्रभारी चिकित्सा अकारी अमिताष मिश्र सुबह नौ बजे तक नदारद रहे। उनके सीयूजी नंबर पर फोन मिलाया गया तो घंटी बजती रही। लेकिन फोन नहीं उठा। दोपहर बारह बजे के बाद उन्होंने फोन उठाया और बताया कि मीटिंग में हैं। शाम तक आएंगे।