जब बेटियां नाम कमातीं, तो फिर क्यों मारी जातीं?
सुलतानपुर : मां, बेटी, बहू, बहन सारे रिश्ते इन्हीं से शुरू होते हैं। ये नहीं तो कैसे रिश्ते? जब भी म
सुलतानपुर : मां, बेटी, बहू, बहन सारे रिश्ते इन्हीं से शुरू होते हैं। ये नहीं तो कैसे रिश्ते? जब भी मौका मिला देश, परिवार, नातेदारी-रिश्तेदारी सबका नाम ऊंचा किया। रियो ओलंपिक में अगर कोई मेडल लेकर लौटी तो वे बेटियां ही थीं, पर नवजात बच्ची कभी कूड़े के ढ़ेर में मृत मिली तो कभी अस्पताल के शौचालय में बिलखती। आखिर ये कौन सा रिश्ता-नाता है? क्यों इतनी घृणा? मां तो ममता का पर्याय होती है। फिर सीने पर पत्थर कैसे बांधा? जिले में दो महीने के भीतर दो नजारे यह सवाल कर रहे हैं।
जय¨सहपुर तहसील क्षेत्र के बरौंसा में मंगलवार को बरौंसा के कस्तूरबा गांव में तालाब किनारे कूड़े के ढेर में नवजात बच्ची का शव मिला। मानवता सिहर उठी। दृश्य देख लोगों की आंखें पथरा सी गईं। सवाल उठे, ऐसा घृणित कृत्य किसने किया? क्या वो पत्थर दिल रही, या फिर मां जैसा कलेजा उसके पास नहीं था। लोगों ने फोटो खींचा, समाचार भी बना। किसी ने छापा किसी ने छोड़ा, पर असल सवाल का जवाब किसी के पास नहीं। दूसरी घटना बीते 18-19 जुलाई की है। भदैंया सीएचसी में प्रसव वेदना से कराहती युवती दाखिल हुई। डॉक्टर इलाज के लिए आगे बढ़े, मगर वो पीछे हट गई। अस्पताल वाले माजरा समझते, तब तक युवती गायब हो गई। कुछ देर बाद अस्पताल के शौचालय से नवजात की किलकारी गूंजी तो स्टाफ के लोग उस ओर भागे। बाथरूम में देखा तो नवजात बच्ची रो रही थी, पर यहां से भी उसकी जन्मदात्री गायब थी। खोजबीन हुई 'मां' न मिली। आखिरकार अस्पताल के एक कर्मचारी की पत्नी पालनहार बनीं। मगर नियम-कानून आड़े आए और अंतत:नवजात बच्ची को फैजाबाद के बाल संरक्षण गृह भेज दिया गया। ये बेटियों की दर्दनाक कहानी सिर्फ दो महीने के भीतर की है।
नवजात बेटा गायब हुआ तो मचा हड़कंप
10-11 जुलाई की रात में जिला अस्पताल में एक मां ने दो बेटों को जन्म दिया। जिसमें से एक चोरी हो गया। फिर जोरदार हंगामा हुआ। पुलिस-प्रशासन पर चौतरफा दबाव पड़ा और 72 घंटे भीतर नवजात बेटा पुलिस खोज लाई।