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जय¨सहपुर की धरोहर संवारने में जुटे ग्रामीण

सुलतानपुर : इसे जय¨सहपुर तहसील की धरोहरों में गिना जाता है, पर लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है। जागर

By Edited By: Published: Tue, 28 Jun 2016 11:12 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2016 11:12 PM (IST)

सुलतानपुर : इसे जय¨सहपुर तहसील की धरोहरों में गिना जाता है, पर लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है। जागरण ने तालाबों को संरक्षित करने का अभियान शुरू किया तो तो स्थानीय लोगों ने प्रेरणा ली। सागर के कायाकल्प के लिये युवा वर्ग आगे आया। इसकी सफाई का बीड़ा उठाया। अब उसे संवारा जा रहा है।

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जय¨सहपुर के इटकौली-बगिया गांव संपर्क मार्ग पर जूनियर हाईस्कूल स्थित यह सागर गोपालदास साव का सगरवा नाम से जाना जाता है। इसके दक्षिण तरफ बना शिवजी का मंदिर लोगों को बरबस ही आकर्षित कर लेता है। साफ-सफाई के अभाव में यह सागर दुर्दशाग्रस्त था। स्थानीय निवासी वयोवृद्ध हरीराम मोदनवाल के मुताबिक इस सागर को जय¨सहपुर निवासी स्व.गोपालदास ने बनवाया था। आज तक यह सागर कभी सूखा नहीं। गांववासी इसमें स्नान करते थे। यहां एकत्रित होकर चर्चा-परिचर्चा किया करते थे। मोहम्मद मकबूल बताते हैं कि सागर के पश्चिमी छोर पर नाला बना हुआ है, जब बरसात होती है तो बाढ़ का पानी उसी नाले से होकर सागर में आता है।

1905 में हुई थी खोदाई : सागर के बगल स्थित शिवमंदिर के शिलापट पर अंकित तिथि के अनुसार 29 सितंबर 1905 ई. को सागर की खोदाई का कार्य प्रारंभ हुआ और 1 मार्च 1908 को मूर्त रूप में आया। तब से यह लोगों की आवश्यकताएं पूरी करता रहा।


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