बिना मौन व्रत तोड़े लौट गई दिल्ली सरकार
सुलतानपुर : वे मौन व्रती थे या फिर कोई बड़ा संकल्प लेकर सुलतानपुर आए थे। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री,
सुलतानपुर : वे मौन व्रती थे या फिर कोई बड़ा संकल्प लेकर सुलतानपुर आए थे। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री, पूर्वमंत्री व डेढ़ दर्जन से ज्यादा दिल्ली के विधायकों ने 12 घंटे शहर में बिताए। कभी मुस्कुराए, कभी खिलखिलाए। अपनों से हाथ मिलाए पर, मुंह से कुछ नहीं बोले। मीडिया को तो पहुंच से ही दूर रखा। मंगलवार की सुबह करीब आठ बजे वीआइपी दस्ता जिले से कूच कर गया। हां, इतना जरूर रहा कि यहां के लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर इस खामोश मिजाजी का राज क्या है?
चुप रहना तो अलग बात है, पर खामोशी की चादर ओढ़ लेना खास बात। सोमवार की रात सुलतानपुर आने वाली दिल्ली की सरकार मौन व्रत पर अडिग दिखी। लोग समझ नहीं पा रहे थे कि इस वीआइपी दस्ते में डॉ. कुमार विश्वास जैसे लोग भी रहे जो नजरों को पहचान कर बोलने लगते हैं। पर, वे भी भीड़ से कतराते रहे। मीडिया से बचते रहे। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया हों या दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल। आशुतोष रहें हो या हाजी युनुस कोई नहीं बोला। विधायकों में तो लंबी फेहरिस्त थी। श्रीदत्त शर्मा, पवन शर्मा, राजेंद्र त्रिपाठी, अवतार ¨सह कालका, एसके बग्गा, मदनलाल, राजेश यादव, नरेश यादव, आदर्श शास्त्री, जगदीश ¨सह, जरनैल ¨सह, अखिलेशपति त्रिपाठी सहित तमाम विधायक, कार्यकर्ता, पार्टी नेता सब डटे रहे। लोगों ने माध्यमों को भी तलाशा, बातचीत करनी चाही पर, उधर से कोई जवाब नहीं आया। पार्टी प्रवक्ता संजय ¨सह के घर का आयोजन था। सुलतानपुर में उनके तमाम मित्र-यार भी हैं। उनसे भी लोगों ने केजरीवाल तक पहुंचने और बात करने की कोशिश की, पर केजरीवाल और उनकी टीम मीडिया से मुखातिब न हुई।